2030 तक भारत की GDP में 5% योगदान देंगे वैश्विक क्षमता केंद्र, ‘डिजिटल ट्विन’ तकनीक बनी गेमचेंजर
“ भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। इसका अहम उदाहरण हैं वैश्विक क्षमता केंद्र (Global Capability Centers – GCCs), जो अब न केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सपोर्ट सेंटर्स बनकर रह गए हैं, बल्कि इनोवेशन और डिजिटल रणनीतियों के केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक भारत की GDP में इन जीसीसी का योगदान 5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।“
भारत में GCC का बढ़ता प्रभाव
आर्थिक सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, जीसीसी फिलहाल भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 3.5 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं। लेकिन तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य और भारत में टैलेंट की उपलब्धता को देखते हुए, इंडक्टस जैसी अग्रणी जीसीसी इनेब्लर कंपनियों का मानना है कि 2030 तक यह योगदान 5% तक पहुंच सकता है।
डिजिटल ट्विन: भविष्य की तकनीक
इस विकास में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है ‘डिजिटल ट्विन’ (Digital Twin) रणनीति ने। यह एक वर्चुअल मॉडलिंग प्रक्रिया है, जिसमें किसी वास्तविक प्रणाली, प्रक्रिया या उत्पाद का डिजिटल रिफ्लेक्शन तैयार किया जाता है। इसका उपयोग जीसीसी संचालन में न केवल कार्यक्षमता बढ़ाने बल्कि लागत को घटाने और रीयल-टाइम निर्णय लेने में भी किया जा रहा है।
इंडक्टस के संस्थापक और सीईओ आलोक कुमार के अनुसार:
“डिजिटल ट्विन रणनीति को अपनाने वाली कंपनियाँ एक ऐसा ऑफशोर कॉन्फिगरेशन बना रही हैं जो उनके वैश्विक मुख्यालय के साथ मिरर की तरह तालमेल बैठाता है। इससे रीयल टाइम सहयोग और निर्णय लेना बेहद आसान हो गया है।”
जीसीसी के सेक्टर्स में डिजिटल क्रांति
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल ट्विन अप्रोच ने कई प्रमुख सेक्टर्स में असाधारण परिणाम दिए हैं:
- आईटी और टेक्नोलॉजी
- बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस)
- फार्मा और लाइफ साइंसेज़
- इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग
- रिटेल और ई-कॉमर्स
इन क्षेत्रों में डिजिटल ट्विन का प्रयोग करके कंपनियां उत्पादकता बढ़ाने, प्रक्रियाओं की निगरानी करने, और भविष्य की रणनीतियाँ बनाने में सक्षम हो पाई हैं।
डिजिटल ट्विन कैसे काम करता है?
डिजिटल ट्विन तकनीक वास्तविक समय के डेटा, मशीन लर्निंग और सिमुलेशन मॉडलिंग का उपयोग करके किसी भी भौतिक प्रक्रिया का डिजिटल वर्जन तैयार करती है। इससे कंपनियां निम्नलिखित फायदे उठा सकती हैं:
- पूर्वानुमान विश्लेषण (Predictive Analytics)
- डेटा आधारित निर्णय लेना
- प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और नियंत्रण
- उत्पादन की दक्षता में वृद्धि
- मॉड्यूलर स्केलेबिलिटी
पारंपरिक मॉडल की तुलना में लाभ
पारंपरिक जीसीसी मॉडल की तुलना में, डिजिटल ट्विन आधारित मॉडल:
- परिचालन लागत को कम करता है
- प्रक्रिया की समयसीमा घटाता है
- बिज़नेस लचीलापन (Business Agility) बढ़ाता है
इसका प्रभाव अब स्पष्ट रूप से कंपनियों की बॉटमलाइन और ऑपरेशनल KPI में देखा जा सकता है।
जीसीसी के लिए भारत क्यों बना है पसंदीदा गंतव्य?
भारत में जीसीसी के तेज़ी से फैलाव के पीछे कई कारण हैं:
- तकनीकी प्रतिभा की प्रचुरता
- प्रतिस्पर्धी लागत
- भाषा और संचार में दक्षता
- नीतिगत समर्थन और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
इसका परिणाम यह है कि भारत में 1,600 से अधिक सक्रिय जीसीसी हैं, और यह संख्या हर साल बढ़ रही है।
रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिंदु
रिपोर्ट ने जीसीसी के लिए उभरते ट्रेंड्स की पहचान भी की:
- AI Decision Intelligence Advancements
- Scalable Cloud and IoT Integration
- ESG-सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव्स
- इंडस्ट्री-स्पेसिफिक वर्टिकल सॉल्यूशंस
ये सभी पहलें जीसीसी को एक स्मार्ट, सतत और नवोन्मेषी संगठन में बदल रही हैं।
इनोवेशन और R&D की ताकत
डिजिटल युग में वे ही संगठन आगे बढ़ पा रहे हैं जो इनोवेशन और R&D में निवेश कर रहे हैं। आलोक कुमार ने इसे इस प्रकार समझाया:
“इनोवेशन वह ताकत है जो संगठनों को एक उभरते बाजार में प्रासंगिक, लागत-प्रतिस्पर्धी और भविष्य के लिए तैयार बनाए रखती है।”
इसलिए, अब कंपनियाँ केवल बैक-ऑफिस ऑपरेशंस तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे रिसर्च और डेवलपमेंट, डिजाइन इनोवेशन, और डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व कर रही हैं।
भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों का विकास केवल संख्यात्मक नहीं, बल्कि गुणात्मक रूप से भी हो रहा है। डिजिटल ट्विन जैसी एडवांस तकनीकों के माध्यम से जीसीसी न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, बल्कि भारत को डिजिटल लीडरशिप की ओर भी अग्रसर कर रहे हैं।
2030 तक भारत की GDP में 5% का योगदान एक ऐसा लक्ष्य है, जो अब सिर्फ भविष्यवाणी नहीं बल्कि हकीकत में बदलने की दिशा में बढ़ता कदम है।