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जून में भारत में ऑटोमोबाइल की खुदरा बिक्री में 4.84% की बढ़ोतरी

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोटिव डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने सोमवार को जून 2023 में भारत में ऑटोमोबाइल की कुल खुदरा बिक्री में 4.84% की बढ़ोतरी की घोषणा की, जो 20.03 लाख यूनिट तक पहुंच गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से त्योहारों और शादी के मौसम में मांग के कारण हुई। हालांकि, फाडा के अध्यक्ष सी.एस. विग्नेश्वर ने बताया कि वित्तीय बाधाएं और वाहन वेरिएंट की कमी ने बिक्री में धीमापन भी लाया।

सेगमेंट-वाइज बिक्री में वृद्धि

विग्नेश्वर के अनुसार, विभिन्न सेगमेंट में प्रदर्शन इस प्रकार रहा:

  • दोपहिया वाहनों की बिक्री में 4.73% की वृद्धि हुई।
  • तिपहिया वाहनों की बिक्री में 6.68% की वृद्धि।
  • पैसेंजर व्हीकल्स (PV) की बिक्री में 2.45% की वृद्धि, लेकिन मासिक आधार पर 1.49% की कमी।
  • कमर्शियल व्हीकल्स (CV) की बिक्री में 6.6% की वृद्धि।
  • ट्रैक्टरों की बिक्री में 8.68% की वृद्धि।
  • कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट्स की बिक्री में 54.95% की बड़ी वृद्धि देखी गई।

मानसून और लिक्विडिटी की कमी का असर

विग्नेश्वर ने कहा कि मानसून की बारिश और लिक्विडिटी की कमी ने बिक्री को धीमा कर दिया, लेकिन इसके बावजूद प्रोत्साहन योजनाओं और नई बुकिंग ने बिक्री को चुनिंदा समर्थन दिया। कुछ डीलरों ने यह भी बताया कि पीवी मैन्युफैक्चरर्स ने स्वचालित थोक डेबिट जैसी बिलिंग प्रक्रियाओं को लागू किया, जिससे इन्वेंट्री लगभग 55 दिनों की हो गई है।

सीवी सेगमेंट में वृद्धि और चुनौतियां

सीवी (कमर्शियल व्हीकल) की खुदरा बिक्री में मासिक आधार पर 2.97% की गिरावट आई, लेकिन सालाना आधार पर इसमें 6.6% की मजबूत वृद्धि देखी गई। विग्नेश्वर ने कहा कि नए सीवी कराधान और अनिवार्य वातानुकूलित केबिन के कारण स्वामित्व लागत में वृद्धि हुई, जो इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग में कमी का कारण बन रही है।

डीलर्स का सेंटीमेंट

फाडा के अनुसार, डीलर्स का सेंटीमेंट स्लोडाउन की ओर झुका हुआ है, जहां फ्लैट और डी-ग्रोथ की उम्मीदें अधिक (42.8% और 26.1%) हैं, जबकि विकास पूर्वानुमान केवल 31.1% है। यह संकेत करता है कि पीवी को नई मॉडल लॉन्च और फाइनेंसिंग में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भविष्य का आउटलुक

फाडा ने बताया कि जुलाई में कृषि अनुकूल परिस्थितियों और स्कूलों के खुलने के कारण मिश्रित परिणाम देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, मौसमी प्रतिकूल परिस्थितियां, उच्च मूल्य बिंदु और लिक्विडिटी दबाव के कारण बिक्री नरम हो सकती है। फाडा ने ग्रामीण मांग और सरकारी पूंजीगत व्यय का लाभ उठाते हुए सतर्क आशावाद का रुख अपनाया है।

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