इस्कॉन भक्तों को पकड़ो, फिर कत्ल करो… बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक समूह ने दी खुली धमकी, मोहम्मद यूनुस चुप
बांग्लादेश में एक कट्टरपंथी इस्लामिक समूह ने इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कांश्यसनेस) के भक्तों के खिलाफ एक भयावह धमकी दी है, जिससे धार्मिक असहमति और साम्प्रदायिक तनाव का माहौल और भी तूल पकड़ सकता है। इस कट्टरपंथी समूह ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि इस्कॉन भक्तों को पकड़ो, फिर कत्ल करो, जो एक गंभीर और निंदनीय बयान है।
धमकी के बाद बढ़ी असुरक्षा की भावना
इस धमकी के बाद, इस्कॉन के भक्तों में भय का माहौल बना हुआ है, क्योंकि कट्टरपंथी समूह ने न केवल उनके धार्मिक विश्वासों को निशाना बनाया, बल्कि हिंसा की धमकी भी दी। यह बयान बांग्लादेश के धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के उल्लंघन का स्पष्ट संकेत है। कट्टरपंथी समूह ने इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देते हुए इस तरह की धमकी दी है, जिससे न केवल धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है, बल्कि मुलायम इमेज वाले बांग्लादेश के समाज में साम्प्रदायिक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
इस्लामिक समूह का बयान
धमकी देने वाला कट्टरपंथी समूह इस्कॉन के अनुयायियों को काफिर (अविश्वासी) मानता है और उनका मानना है कि जो लोग इस्लाम को नहीं मानते, उन्हें निशाना बनाना जायज है। इस समूह ने खुले तौर पर कहा कि इस्लाम के खिलाफ काफिरों के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखेंगे और इस्कॉन भक्तों को जान से मारने की धमकी दी है।
बांग्लादेशी सरकार की चुप्पी
इस घटना के बाद, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बांग्लादेश सरकार के नेताओं और अधिकारियों से इस धमकी के बारे में कोई ठोस बयान नहीं आया है, जबकि धार्मिक हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ आलोचना बढ़ रही है। बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने की दिशा में यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
बांग्लादेश में धार्मिक तनाव
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को हमेशा से ही धार्मिक भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ा है, और अब इस धमकी से स्थिति और भी बिगड़ने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों में इस्कॉन भक्तों पर हमले, मंदिरों की तोड़फोड़ और हिंदू धर्म के खिलाफ कट्टरपंथियों की हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जो धार्मिक असुरक्षा का एक बड़ा कारण बन गई हैं।
इस्कॉन की प्रतिक्रिया
इस्कॉन संगठन ने इस धमकी की निंदा करते हुए कहा है कि वे अपने भक्तों की सुरक्षा के लिए पूरी कोशिश करेंगे और किसी भी स्थिति में धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करेंगे। संगठन ने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि वह इस तरह की धमकियों और हिंसा के खिलाफ कठोर कदम उठाए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव
इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ग्रुप्स ने भी बांग्लादेश सरकार से धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की जांच करने की अपील की है। बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए इस तरह के मामलों में उचित कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि साम्प्रदायिक तनाव को रोका जा सके और धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सके।