भारत-जापान अंतरिक्ष सहयोग को नई गति, टोक्यो में हुई तीसरी द्विपक्षीय वार्ता
“भारत और जापान के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है, और इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दोनों देशों के बीच तीसरी अंतरिक्ष वार्ता 1 अप्रैल 2025 को टोक्यो में आयोजित की गई। यह वार्ता भारत और जापान के बीच वैज्ञानिक, तकनीकी और वाणिज्यिक संबंधों को नई ऊंचाई देने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।“
प्रमुख प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में दोनों देशों के अंतरिक्ष नीति से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव (निषस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों) मुआनपुई सैयावी और इसरो के वैज्ञानिक सचिव एम. गणेश पिल्लई ने किया। जापान की ओर से इस वार्ता का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के सहायक मंत्री साईता युकियो और राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति सचिवालय के महानिदेशक काजकी जुन ने किया।
वार्ता का मुख्य उद्देश्य
भारत जापान अंतरिक्ष सहयोग के इस नए अध्याय में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में निम्नलिखित मुद्दों को प्राथमिकता दी गई:
- दोनों देशों की राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीतियों और प्राथमिकताओं का आदान-प्रदान
- अंतरिक्ष सुरक्षा और Space Situational Awareness (SSA) पर संवाद
- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग जैसे QUAD (भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) में साझेदारी
- वाणिज्यिक अंतरिक्ष परियोजनाओं में निजी कंपनियों की भूमिका
- उद्योग स्तर पर सहयोग और संयुक्त मिशनों की संभावनाएं
इन सभी विषयों पर पारदर्शी और सकारात्मक चर्चा हुई, जिससे भविष्य में संयुक्त अंतरिक्ष अभियानों की आधारशिला तैयार होती है।
JAXA स्पेस सेंटर का दौरा
इस वार्ता से एक दिन पहले, यानी 31 मार्च 2025 को, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जापान के प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान JAXA (Japan Aerospace Exploration Agency) के त्सुकुबा स्पेस सेंटर का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य जापान की तकनीकी क्षमताओं को समझना और आपसी सहयोग के संभावित क्षेत्रों की पहचान करना था।
भारतीय वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने जापान के उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष स्टेशन तकनीकों और रोबोटिक्स से संबंधित अनुसंधानों का अवलोकन किया।
IN-SPACe और जापानी कैबिनेट ऑफिस की पहल
इस वार्ता से पहले, IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) और जापान के कैबिनेट ऑफिस ने संयुक्त रूप से एक औद्योगिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारत और जापान की प्रमुख अंतरिक्ष कंपनियों और उद्योग संघों ने भाग लिया।
इस मंच पर भारतीय और जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने साथ मिलकर अंतरिक्ष तकनीक, लॉन्च सेवाओं, सैटेलाइट निर्माण, और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के नए अवसरों पर चर्चा की।
व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग की दिशा में कदम
भारत और जापान के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग केवल तकनीकी नहीं है, यह रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। दोनों देश QUAD का हिस्सा होने के नाते, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरिक्ष निगरानी, आपदा प्रबंधन और रक्षा अनुप्रयोगों में भी मिलकर काम कर सकते हैं।
भारत की ओर से ISRO और जापान की ओर से JAXA जैसे संस्थानों के बीच पहले से ही कई परियोजनाएं चल रही हैं, लेकिन इस वार्ता ने दोनों देशों को उद्योग और निजी क्षेत्र को भी इस सहयोग में शामिल करने का मंच प्रदान किया है।
शिक्षा और नवाचार को प्रोत्साहन
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दोनों देशों के छात्र और शोधकर्ता अंतरिक्ष तकनीक में संयुक्त रिसर्च प्रोजेक्ट्स, छात्रवृत्तियाँ और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में भाग ले सकते हैं। इससे युवा वैज्ञानिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने और वैश्विक मानकों पर काम करने का रास्ता खुलेगा।
अंतरिक्ष में साझेदारी: भविष्य की रणनीति
यह वार्ता केवल वर्तमान परियोजनाओं पर चर्चा करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि भविष्य के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाने का एक सशक्त प्रयास भी रही। आने वाले वर्षों में भारत और जापान निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर विचार कर सकते हैं:
- लूनर मिशन (चंद्रमा पर अभियान)
- डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन
- स्पेस बेस्ड नेविगेशन सिस्टम
- स्पेस ट्रैफिक मैनेजमेंट
- जॉइंट स्टार्टअप प्रोग्राम्स
भारत जापान अंतरिक्ष सहयोग न केवल तकनीकी प्रगति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि यह दोनों देशों की रणनीतिक मित्रता और वैश्विक सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। टोक्यो में हुई तीसरी अंतरिक्ष वार्ता से यह साफ हो गया है कि आने वाले समय में भारत और जापान अंतरिक्ष में साझेदारी के नए आयाम स्थापित करेंगे।