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भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति मुर्मु ने अर्पित की श्रद्धांजलि

भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति भवन ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी।

डॉ. जाकिर हुसैन: शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका

डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी 1897 को हैदराबाद में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की। शिक्षा के प्रति उनके विशेष लगाव ने उन्हें नेशनल मुस्लिम यूनिवर्सिटी (अब जामिया मिलिया इस्लामिया) की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति के रूप में कार्य किया और अपने कुशल नेतृत्व से इन संस्थानों में महत्वपूर्ण बदलाव किए।

महत्वपूर्ण योगदान:

  • शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और नवाचार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से योगदान दिया।
  • 1957-1962 तक बिहार के राज्यपाल रहे।
  • 1962-1967 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
  • 13 मई 1967 को भारत के राष्ट्रपति बने, इस पद पर आसीन होने वाले पहले मुस्लिम बने।
  • 3 मई 1969 को उनका निधन हो गया।

केरल के राज्यपाल ने की राष्ट्रपति से शिष्टाचार भेंट

इस बीच, केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन ने इस मुलाकात की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि केरल के राज्यपाल ने राष्ट्रपति से शिष्टाचार भेंट की

राजेंद्र आर्लेकर वर्तमान में केरल के राज्यपाल हैं और इससे पहले बिहार और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

डॉ. जाकिर हुसैन ने भारत में शिक्षा को नई दिशा दी और स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। उनकी जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा दी गई श्रद्धांजलि उनके महान कार्यों को सम्मान देने का प्रतीक है

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