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होली 2024 और चंद्रग्रहण: जानिए इसके प्रभाव और ज्योतिषीय महत्व

इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा, और इसी दिन साल का पहला चंद्रग्रहण भी लगेगा। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या चंद्रग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य होगा? आइए जानते हैं इसके धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक पहलुओं को।

चंद्रग्रहण और होली का संयोग

  • होली की तिथि: 13 मार्च को होलिका दहन, 14 मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा।
  • चंद्रग्रहण का समय: सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा।
  • क्या भारत में सूतक काल मान्य होगा?
    • राहत की बात यह है कि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा
    • भारतीय समयानुसार यह ग्रहण दिन में घटित होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा

किन देशों में दिखेगा चंद्रग्रहण?

चंद्रग्रहण का प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका में देखने को मिलेगा।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण

  • इस बार का चंद्रग्रहण कन्या राशि में हो रहा है।
  • कन्या राशि के जातकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि यह ग्रहण उनके लिए अशुभ प्रभाव डाल सकता है।
  • ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण केतु के कारण लगेगा। राहु-केतु को सर्प रूपी ग्रह माना जाता है, जिनके प्रभाव से चंद्रग्रहण होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण

वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं, तब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्रग्रहण होता है।

निष्कर्ष

हालांकि होली और चंद्रग्रहण का एक ही दिन पड़ना कई लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव कम रहेगा। भक्तजन होली का पर्व बिना किसी संकोच के हर्षोल्लास से मना सकते हैं

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