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आरबीआई का 1.9 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने का फैसला: बैंकिंग सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग सेक्टर की नकदी संकट को दूर करने के लिए 1.9 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने का फैसला किया है। इस निर्णय का सकारात्मक असर बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) के शेयरों पर दिखा।

बैंकिंग इंडेक्स में आई तेजी

आरबीआई की घोषणा के बाद गुरुवार को निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 1.46% बढ़कर 5,976.75 के इंट्राडे हाई पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी बैंक इंडेक्स 0.72% बढ़कर 48,839.10 तक पहुंचा। निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में भी 0.67% की बढ़त देखी गई।

आरबीआई के नकदी प्रबंधन उपाय

आरबीआई ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित प्रमुख उपाय किए हैं:

  1. ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) खरीद: बैंक 50,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। पहली नीलामी 12 मार्च और दूसरी 18 मार्च को होगी।
  2. डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी: 24 मार्च को 36 महीनों के लिए 10 बिलियन डॉलर की स्वैप नीलामी आयोजित होगी, जिससे अतिरिक्त लिक्विडिटी उपलब्ध होगी।
  3. मार्च के अंत तक नकदी की तंगी से राहत: यह कदम टैक्स भुगतान और बैंकों के वित्तीय वर्ष समाप्ति की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

विशेषज्ञों की राय

निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन ने कहा कि ये उपाय मार्च में संभावित नकदी की तंगी को दूर करने में मदद करेंगे और दीर्घकालिक लिक्विडिटी को भी स्थिर करेंगे।

सीआईटीआई के मुख्य अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती के अनुसार, मार्च के अंत तक ड्यूरेबल लिक्विडिटी 1.2 लाख करोड़ रुपये तक सरप्लस हो सकती है और यह आंकड़ा 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

नीतिगत प्रभाव और आगे की संभावनाएं

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी में दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। नकदी बढ़ाने के इन उपायों से वित्तीय बाजार में स्थिरता आएगी और कॉरपोरेट बॉन्ड स्प्रेड को भी राहत मिलेगी।

आरबीआई द्वारा उठाए गए ये कदम बैंकिंग सेक्टर और आर्थिक गतिविधियों को मजबूती देने में सहायक होंगे। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों से बैंकों की लिक्विडिटी बेहतर होगी और वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह सरप्लस नकदी की स्थिति में जा सकता है।

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