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फाइनेंस बिल 2025 लोकसभा में पारित: मध्यम वर्ग और व्यापारियों को टैक्स में राहत, डिजिटल टैक्स खत्म

भारत की संसद का बजट सत्र 2025-26 अपने अहम पड़ाव पर पहुंच गया है। लोकसभा ने मंगलवार को फाइनेंस बिल 2025 को 35 सरकारी संशोधनों के साथ ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस बिल के पारित होने के साथ ही बजटीय अनुमोदन प्रक्रिया में लोकसभा की भूमिका पूरी हो गई है।

इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण वित्तीय प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य करदाताओं को राहत देना, घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सशक्त बनाना है। सबसे प्रमुख परिवर्तन में से एक है ऑनलाइन विज्ञापनों पर लगने वाले 6% डिजिटल टैक्स का समाप्त किया जाना, जिसे ‘Equalisation Levy’ के रूप में जाना जाता था।

फाइनेंस बिल 2025: क्या है खास?

फाइनेंस बिल हर साल बजट का हिस्सा होता है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कर सुधारों और वित्तीय नीतियों को विधायी स्वीकृति दी जाती है। 2025 के इस फाइनेंस बिल में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु सामने आए हैं:

डिजिटल टैक्स खत्म

अब ऑनलाइन विज्ञापनों पर 6% का डिजिटल टैक्स नहीं लगेगा। यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों और डिजिटल कंपनियों के लिए राहत भरा है, साथ ही यह भारत की वैश्विक व्यापार नीतियों को भी संतुलित करने वाला कदम माना जा रहा है।

मध्यम वर्ग को राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल के जरिए करदाताओं को अभूतपूर्व राहत दी गई है। विशेष रूप से मध्यम वर्ग और लघु व्यापारियों को टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार का लाभ मिलेगा।

घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा

बिल में ऐसे संशोधन शामिल हैं जो मेक इन इंडिया अभियान को गति देंगे और भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को मजबूत करेंगे।

सीमा शुल्क में सुधार

आयातकों के लिए राहत प्रदान करने के उद्देश्य से सीमा शुल्क को सरल और तर्कसंगत बनाया गया है।

यथार्थवादी कर संग्रह लक्ष्य

वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 में व्यक्तिगत आयकर संग्रह में 13.14% की वृद्धि की आशा है, जो 1 लाख करोड़ रुपये के संभावित घाटे के बावजूद यथार्थवादी है।

लोकसभा में विपक्ष के संशोधन खारिज

विपक्षी सांसदों ने फाइनेंस बिल पर कुछ संशोधन प्रस्तावित किए थे, लेकिन ये सभी ध्वनिमत में गिर गए। इसका अर्थ है कि सरकार ने विधेयक को बहुमत से पारित करवा लिया। इसके बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहाँ इसकी समीक्षा और चर्चा की जाएगी।

वित्त मंत्री का संसद में जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार और मंगलवार को लोकसभा में फाइनेंस बिल 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि:

“2025-26 का केंद्रीय बजट करदाताओं के सम्मान के लिए अभूतपूर्व कर राहत प्रदान करता है। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।”

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के इस कदम से व्यवसायों को सहूलियत मिलेगी, खासकर उन कंपनियों को जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करती हैं।

सरकारी खर्च और बजटीय अनुमान

केंद्रीय बजट 2025-26 में कुल व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 7.4% अधिक है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार इस बार बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार पर अधिक खर्च करने की योजना बना रही है।

डिजिटल टैक्स हटाने के पीछे की सोच

भारत ने 2016 में डिजिटल सेवाओं पर समानीकरण शुल्क लगाया था, जिससे गूगल, फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भारत में अपनी सेवाओं पर टैक्स देना होता था। लेकिन अब वैश्विक कर समझौतों और OECD (Economic Cooperation and Development) के नियमों के तहत भारत ने यह टैक्स समाप्त करने का निर्णय लिया है।

इससे न केवल विदेशी कंपनियों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि यह भारत के प्रति निवेश को भी आकर्षित करेगा।

बिल के प्रभाव और संभावनाएं

फाइनेंस बिल 2025 का पारित होना देश के लिए कई मायनों में अहम है:

  • व्यापारिक जगत को स्पष्ट और स्थिर कर नीतियां मिलेंगी
  • मध्यम वर्ग को कर छूट से आर्थिक राहत मिलेगी
  • डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और मजबूत कदम
  • निर्यात और घरेलू उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद
  • वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा

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