जल जीवन मिशन से 15.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचा साफ नल का जल, 11 राज्य बने ‘हर घर जल’ वाले
“भारत में स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल तक सभी ग्रामीण परिवारों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2019 में शुरू किया गया जल जीवन मिशन आज एक बड़ी सफलता की कहानी बन चुका है। मिशन के शुरू होने के समय देश के केवल 16.71% यानी 3.23 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही नल से जल की सुविधा थी। लेकिन 20 मार्च, 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 15.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंच चुका है, जो कि 80.22% कवरेज को दर्शाता है।“
जल जीवन मिशन: एक नजर में
जल जीवन मिशन को 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। इस मिशन का उद्देश्य है –
“हर ग्रामीण घर तक 2024 तक कार्यात्मक नल जल कनेक्शन (FHTC) पहुंचाना।”
यह मिशन न केवल पेयजल आपूर्ति तक सीमित है, बल्कि इसका ध्यान जल की गुणवत्ता, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, जल प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी पर भी है।
2025 तक हासिल की गई बड़ी उपलब्धियां
- 12.30 करोड़ नए कनेक्शन:
अगस्त 2019 के बाद से अब तक 12.30 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को नल से जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। - 80% से अधिक कवरेज:
देश के 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 15.53 करोड़ परिवार अब नल से जल सुविधा से जुड़ चुके हैं। - 11 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश शत-प्रतिशत कवर:
अब तक 11 राज्य/UT ‘हर घर जल’ की श्रेणी में आ चुके हैं यानी वहां 100% घरों में नल से जल की सुविधा है।
‘हर घर जल’ वाले राज्य
जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में जानकारी दी कि अब तक निम्नलिखित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मिशन का लक्ष्य पूरी तरह हासिल कर लिया है:
- गोवा
- तेलंगाना
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
- पुडुचेरी
- दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव
- हरियाणा
- गुजरात
- पंजाब
- हिमाचल प्रदेश
- सिक्किम
- लद्दाख
इन राज्यों में सभी ग्रामीण परिवारों को नल से जल आपूर्ति हो रही है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत-डेनमार्क साझेदारी
जल जीवन मिशन में भारत ने वैश्विक सहयोग को भी एक मजबूत आधार बनाया है। भारत और डेनमार्क के बीच 28 सितंबर 2020 को हरित रणनीतिक साझेदारी (Green Strategic Partnership) की गई।
इसके तहत:
- जल शक्ति मंत्रालय और डेनिश पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (DEPA) के बीच 2021-2024 की संयुक्त कार्य योजना बनाई गई।
- यह योजना जल वितरण, अपशिष्ट जल उपचार, सीवरेज व्यवस्था और जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करती है।
- ऊर्जा कुशल जल आपूर्ति प्रणालियों की दिशा में भी काम हो रहा है।
उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग
पानी की बर्बादी रोकने और संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए सरकार उपचारित अपशिष्ट जल (treated wastewater) के पुनः उपयोग को बढ़ावा दे रही है। इससे:
- जल संरक्षण को बल मिलता है
- कृषि, उद्योग और शहरी उपयोग के लिए वैकल्पिक जल स्रोत मिलते हैं
- पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है
जल गुणवत्ता और मानक
मिशन के तहत आपूर्ति किए जा रहे पानी की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए:
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के IS 10500 मानक को अपनाया गया है।
- यह पानी की गुणवत्ता के लिए एक बेंचमार्क है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ग्रामीण इलाकों में शुद्ध और सुरक्षित जल पहुंच रहा है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि जल जीवन मिशन ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी सामने हैं:
बुनियादी ढांचे की कमी:
कुछ दुर्गम या आदिवासी क्षेत्रों में जल आपूर्ति नेटवर्क पहुंचाना मुश्किल होता है।
जल स्रोत की स्थिरता:
ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों की कमी या गिरता भूजल स्तर चिंता का विषय है।
जनसहभागिता की कमी:
पेयजल योजनाओं के संचालन और रखरखाव में स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।
सरकार इन समस्याओं का समाधान जन जागरूकता, स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी सहायता से कर रही है।
जन भागीदारी और सामुदायिक सहभागिता
जल जीवन मिशन को जन आंदोलन बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं:
- ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन
- स्कूलों, आंगनवाड़ियों और पंचायत भवनों में नल जल कनेक्शन
- महिलाओं की सहभागिता और निगरानी प्रणाली
यह सुनिश्चित करता है कि योजना सिर्फ कागजों में नहीं बल्कि जमीन पर भी असर दिखा रही है।
जल जीवन मिशन 2025 भारत के ग्रामीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों को नल से शुद्ध पेयजल की सुविधा देकर यह मिशन स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहा है।
भविष्य की चुनौती अब मिशन को सतत और दीर्घकालिक बनाए रखना है — ताकि अगली पीढ़ी को भी साफ, सुरक्षित और पर्याप्त पानी मिल सके।