गुजरात बनेगा यूसीसी लागू करने वाला दूसरा राज्य, समान न्याय की दिशा में बड़ा कदम
“गुजरात सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू करने की घोषणा की है। इस कदम के साथ ही गुजरात उत्तराखंड के बाद UCC लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा। राज्य के विधि मंत्री रुशिकेश पटेल ने मंगलवार को यह घोषणा राज्य विधानसभा में की।“
उन्होंने कहा कि यह निर्णय सभी नागरिकों के लिए समान न्याय सुनिश्चित करने और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
यूसीसी: एक समान कानून की ओर बढ़ता भारत
समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना और संपत्ति जैसे मामलों में एक समान कानून हो, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।
भारत में अभी विभिन्न धर्मों के अनुसार अलग-अलग व्यक्तिगत कानून लागू होते हैं, लेकिन UCC इन भिन्नताओं को समाप्त कर समानता और एकता का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप उठाया गया कदम
विधि मंत्री ने बताया कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप लिया गया है। पीएम मोदी लंबे समय से पूरे देश में समान अधिकार और समान कानून की बात करते रहे हैं।
इसी के तहत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात में UCC की आवश्यकता का मूल्यांकन करने के लिए पांच सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की थी। इस समिति को 45 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था।
मध्यस्थता न्यायाधिकरणों की स्थापना का भी फैसला
राज्य सरकार ने न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के लिए राजकोट, सूरत और वडोदरा में तीन नए मध्यस्थता न्यायाधिकरण स्थापित करने की भी घोषणा की है।
इन न्यायाधिकरणों में:
- नगरपालिकाओं और पंचायतों से जुड़े मामले सुनवाई के लिए लिए जाएंगे
- विवादों का सुलभ, त्वरित और किफायती समाधान हो सकेगा
यह व्यवस्था ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा सुधार मानी जा रही है।
समिति की भूमिका और रिपोर्ट का महत्व
गुजरात सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति ने राज्य के नागरिकों से सुझाव लिए और विभिन्न समुदायों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों से बातचीत की। रिपोर्ट में:
- राज्य में लागू विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों का विश्लेषण किया गया
- एक एकीकृत और न्यायसंगत कानून का मसौदा तैयार किया गया
- महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की विशेष सुरक्षा की सिफारिश की गई
सरकार ने कहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर UCC का मसौदा कानून बनाया जाएगा और उसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
UCC के संभावित लाभ
- समानता सुनिश्चित: हर नागरिक के लिए एक समान कानूनी ढांचा
- महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा: लैंगिक भेदभाव में कमी
- विवादों में कमी: समान कानून से न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता
- राष्ट्रीय एकता को मजबूती: कानून के स्तर पर समानता का भाव
- आधुनिक कानून व्यवस्था: पारंपरिक और भेदभावकारी प्रथाओं का अंत
विपक्ष और चुनौतियाँ
जहां एक ओर सरकार इस फैसले को सुधारात्मक और न्यायोचित बता रही है, वहीं कुछ समुदायों और संगठनों ने इसके क्रियान्वयन को लेकर चिंता और विरोध भी व्यक्त किया है।
उनका मानना है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह कानून सभी की राय और अधिकारों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।
देश में UCC पर चर्चा का इतिहास
UCC कोई नया विचार नहीं है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका उल्लेख है, जो राज्य को सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास करने का निर्देश देता है।
लेकिन विविधताओं और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए अब तक यह राष्ट्रीय स्तर पर लागू नहीं हो पाया है। गुजरात का यह फैसला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम माना जा रहा है।
गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय भारत के कानूनी और सामाजिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। यह फैसला न केवल राज्य में समान न्याय व्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि पूरे देश में इस दिशा में चर्चा और क्रियान्वयन की संभावनाओं को भी तेज करेगा।
अब नजर इस पर रहेगी कि गुजरात किस तरह से UCC को लागू करता है और इसके क्या प्रभाव सामने आते हैं। यह निश्चित ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की दिशा में एक मजबूत पहल है।