भारत में बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स का मजबूत आधार, केंद्र सरकार ने दी 22,919 करोड़ की मैन्युफैक्चरिंग योजना को मंजूरी
“ भारत सरकार ने आज एक और बड़ा कदम उठाते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ₹22,919 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में आत्मनिर्भर बनाना और देश में एक मजबूत उत्पादन इकोसिस्टम तैयार करना है, जिससे न केवल घरेलू मांग पूरी हो सके, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक भरोसेमंद विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।“
योजना से क्या मिलेगा?
इस योजना के ज़रिए:
- ₹59,350 करोड़ तक के निवेश की उम्मीद है।
- ₹4.56 लाख करोड़ मूल्य के उत्पादों का निर्माण होगा।
- 91,600 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
- अप्रत्यक्ष रूप से भी हज़ारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
योजना की अवधि 6 साल की होगी, जिसमें 1 वर्ष का गेस्टेशन पीरियड शामिल है। यह समय प्रारंभिक सेटअप और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए होगा।
किन-किन क्षेत्रों को मिलेगा बढ़ावा?
इस योजना के तहत कई महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स और सब-असेंबली यूनिट्स को शामिल किया गया है:
- डिस्प्ले मॉड्यूल
- कैमरा मॉड्यूल
- नॉन-SMD पैसिव कंपोनेंट्स
- इलेक्ट्रो-मैकेनिकल्स
- मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स (PCBs)
- ली-आयन सेल्स
- हाई डेंसिटी इंटरकनेक्ट (HDI)
- SMD पैसिव कंपोनेंट्स
इन सभी को तकनीकी दृष्टि से सटीक निर्माण और मास प्रोडक्शन की जरूरत होती है। योजना इन्हीं ज़रूरतों को पूरा करने में भारतीय कंपनियों की मदद करेगी।
तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम
आज भी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए अहम कंपोनेंट्स का बड़ा हिस्सा आयात करता है। यह योजना उन क्षेत्रों पर केंद्रित है, जहां भारत में निर्माण नहीं हो रहा या बहुत कम हो रहा है। इन क्षेत्रों में उच्च तकनीक, उन्नत उपकरण और कुशल श्रमबल की आवश्यकता होती है।
अब सरकार की मंशा है कि:
- ये उत्पादन भारत में हो।
- कंपनियों को आवश्यक प्रोत्साहन मिले।
- भारत “डिजिटल विनिर्माण” का वैश्विक केंद्र बने।
उद्योग की अब तक की प्रगति
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पिछले एक दशक में तेज़ी से विकसित हुआ है:
- FY 2014-15 में उत्पादन ₹1.90 लाख करोड़ था।
- FY 2023-24 में यह बढ़कर ₹9.52 लाख करोड़ हो गया।
- यह लगभग 17% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भी बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है:
- FY 2014-15: ₹0.38 लाख करोड़
- FY 2023-24: ₹2.41 लाख करोड़
- CAGR: 20%
यह आंकड़े बताते हैं कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के क्षेत्र में तेज़ी से उभर रहा है।
रोजगार सृजन पर फोकस
इस योजना में रोजगार लक्ष्यों को भी प्रोत्साहन से जोड़ा गया है। इसका मतलब यह है कि:
- जितनी कंपनियाँ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित करेंगी, उन्हें उतना अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
- इससे स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें टेक्नोलॉजी सेक्टर में करियर के अवसर मिलेंगे।
यह रणनीति न केवल विनिर्माण को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत में स्किल डिवेलपमेंट को भी बल देगी।
क्यों है यह योजना अहम?
- भारत की डिजिटल निर्भरता बढ़ रही है।
- हर क्षेत्र में स्मार्ट डिवाइस, मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी, EV जैसे उत्पादों की माँग तेज़ हो रही है।
- भविष्य के लिए 5G, IoT, और AI आधारित डिवाइसेज़ में भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा।
यह योजना उसी दिशा में एक मजबूत आधारशिला रखने का काम करेगी।
वैश्विक निवेश को आकर्षित करने की रणनीति
सरकार की इस योजना का एक बड़ा उद्देश्य यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश करें। अब तक चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया इस क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं, लेकिन भारत अब एक वैकल्पिक विनिर्माण हब के रूप में उभर रहा है।
इस योजना से:
- बड़ी विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियाँ भारत में यूनिट स्थापित करेंगी।
- लोकल कंपनियाँ वैश्विक स्टैंडर्ड्स पर निर्माण करेंगी।
- Supply Chain Diversification को बल मिलेगा।
₹22,919 करोड़ की यह इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग योजना भारत को डिजिटल सुपरपावर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न सिर्फ उत्पादन बढ़ाएगी, बल्कि रोजगार, निर्यात, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की भूमिका को भी मज़बूत करेगी।
आने वाले वर्षों में भारत को केवल इलेक्ट्रॉनिक्स का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक निर्माता और निर्यातक के रूप में देखा जाएगा।