NationalNews

पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी: उपभोक्ताओं पर असर नहीं, सरकार को बढ़ेगा राजस्व

केंद्र सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए की वृद्धि की जा रही है। यह नई दरें मंगलवार से लागू हो गई हैं। अच्छी खबर यह है कि खुदरा उपभोक्ताओं को इसका बोझ नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

उत्पाद शुल्क वृद्धि के पीछे का कारण क्या है?

सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करने की कोशिश

पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ उठाकर सरकार के लिए अधिक राजस्व एकत्र करना है।

तेल कीमतों में गिरावट का लाभ उठाया जा रहा है

ब्रेंट क्रूड की कीमतें अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम $63 प्रति बैरल तक गिर गई हैं। इसी तरह यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड की कीमत भी $59.57 पर आ गई है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्यों नहीं बढ़ीं?

तेल रिफाइनिंग और विपणन कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम को अब कच्चा तेल सस्ते दामों में मिल रहा है। इससे उनकी उत्पादन लागत कम हो जाती है और खुदरा मार्जिन में सुधार होता है। इसी कारण उत्पाद शुल्क वृद्धि के बावजूद उपभोक्ताओं पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा।

नई उत्पाद शुल्क दरें कितनी हैं?

  • पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क: 13 रुपए प्रति लीटर
  • डीजल पर उत्पाद शुल्क: 10 रुपए प्रति लीटर

यह वृद्धि सरकार को अतिरिक्त संसाधन जुटाने में मदद करेगी, खासकर जब कच्चे तेल की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर हैं।

तेल की कीमतों में गिरावट: भारत के लिए एक अवसर

आयात बिल में कमी और चालू खाता घाटा नियंत्रित

भारत अपनी कच्चे तेल की 85% जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता होता है, तो इससे देश का आयात बिल कम होता है, चालू खाता घाटा घटता है और रुपये की स्थिति मजबूत होती है।

वैश्विक कारण: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और ओपेक+ की रणनीति

अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट का एक कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव है, जिससे मांग में कमी का डर बढ़ गया है। इसके साथ ही, ओपेक+ देशों ने उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे आपूर्ति अधिक हो गई है।

सऊदी अरब ने एशियाई ग्राहकों के लिए तेल सस्ता किया

सऊदी अरब ने मई माह के लिए एशियाई खरीदारों को कच्चे तेल की कीमतों में $2.3 प्रति बैरल तक की कटौती की है। इससे भारतीय तेल कंपनियों को सस्ता कच्चा तेल मिलेगा और कुल उत्पादन लागत में कमी आएगी।

पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क वृद्धि का आर्थिक असर

सरकार को लाभ, उपभोक्ता सुरक्षित

यह फैसला सरकार को अतिरिक्त संसाधन जुटाने का अवसर देता है, वहीं आम जनता पर इसका कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की संभावना

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है। इससे देश में महंगाई यानी मुद्रास्फीति कम हो सकती है।

रूस से रियायती तेल खरीद जारी

सरकार ने यूक्रेन युद्ध के चलते रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने की अनुमति दी, जिससे देश के आयात खर्च पर भी नियंत्रण पाया गया है।

पेट्रोलियम मंत्रालय का बयान

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पीएसयू तेल कंपनियों ने सूचित किया है कि उत्पाद शुल्क बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर रहेंगी। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और सरकार को राजस्व भी मिलेगा।

यदि कच्चे तेल की कीमतें आगे भी स्थिर या कम बनी रहती हैं, तो सरकार भविष्य में और भी राजकोषीय सुधार कर सकती है, जिससे विकासशील योजनाओं को बल मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *