हरियाली के संरक्षक दारिपल्ली रमैया को अंतिम विदाई, पीएम मोदी ने कहा – ‘सस्टेनेबिलिटी के चैंपियन’
“दारिपल्ली रमैया, जिनका जीवन प्रकृति और पर्यावरण की सेवा में समर्पित था, अब इस दुनिया में नहीं रहे। शनिवार को उनके निधन की खबर सामने आने के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें “सस्टेनेबिलिटी का चैंपियन” बताया।“
पीएम मोदी ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में लिखा:
“दारिपल्ली रमैया गरु को हमेशा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने लाखों पेड़ लगाए और उनकी रक्षा की। उनका काम प्रकृति से गहरे प्रेम और भविष्य की पीढ़ियों की चिंता को दर्शाता है।”
दारिपल्ली रमैया: हरियाली के पुजारी
- रमैया का जन्म 1 जुलाई 1937 को रेड्डीपल्ली गांव, जो अब तेलंगाना में है, में हुआ था।
- उन्होंने अपने जीवन के 50 से ज्यादा वर्ष पर्यावरण संरक्षण में लगाए।
- माना जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में 1 करोड़ से अधिक पौधे लगाए।
- वे हमेशा बीजों से भरी जेब और एक साइकिल के साथ चलते थे ताकि जब भी कहीं खाली जमीन दिखे, वहां पेड़ लगाया जा सके।
सम्मान और पहचान
दारिपल्ली रमैया को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:
- सेवा अवॉर्ड (1995)
- वनमित्र अवॉर्ड (2005)
- राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार (2015) – पारंपरिक ज्ञान के क्षेत्र में
- पद्मश्री (2017) – भारत सरकार द्वारा
हरियाली मिशन में तेलंगाना सरकार का समर्थन
- ‘हरिता हरम’ योजना के तहत राज्य सरकार ने उनके काम को पहचान दी और सहयोग किया।
- इस योजना का उद्देश्य राज्य के ग्रीन कवरेज को 24% से बढ़ाकर 33% करना था।
- रमैया की मेहनत ने इस मिशन को जमीन पर उतारने में मदद की।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी दी श्रद्धांजलि
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा:
“रमैया ने अकेले ही पौधारोपण की मुहिम शुरू की और समाज को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया।”
दारिपल्ली रमैया की प्रेरणा
- उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा को अपना धर्म माना।
- उनका कहना था: “पेड़ ही हमारी असली संपत्ति हैं।”
- उन्होंने समाज को सिखाया कि हर एक व्यक्ति अगर एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे, तो धरती हरी-भरी हो सकती है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
दारिपल्ली रमैया का जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक व्यक्ति भी बड़ा बदलाव ला सकता है। उनका हर कदम, हर पौधा धरती को बचाने की एक कोशिश थी।
उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित विरासत के रूप में हमेशा जीवित रहेगा।