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डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती 2024: राष्ट्रनिर्माता को श्रद्धांजलि

हर साल 14 अप्रैल को पूरे देश में अंबेडकर जयंती बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह दिन देश के संविधान निर्माता, महान समाज सुधारक और दलितों के सशक्तिकरण के प्रतीक डॉ. भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में भी यह अवसर पूरे देश में उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सहित देश के अन्य प्रमुख नेताओं ने बाबासाहेब को श्रद्धांजलि दी और उनके विचारों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने दी शुभकामनाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि बाबासाहेब का जीवन विषम परिस्थितियों में भी सफलता पाने और समाज के वंचित तबकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बाबासाहेब की तस्वीर के साथ एक भावनात्मक संदेश साझा किया।

बाबासाहेब की जीवन यात्रा और उपलब्धियां

डॉ. अंबेडकर एक प्रखर विद्वान, कानून विशेषज्ञ, समाज सुधारक और भारत के पहले कानून मंत्री थे। उन्होंने दलितों, महिलाओं और वंचित वर्गों को समान अधिकार दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। बाबासाहेब ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।

समानता और सामाजिक न्याय के प्रतीक

बाबासाहेब ने समाज में समानता और न्याय की भावना को स्थापित करने के लिए कई आंदोलन चलाए। उनका मानना था कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे समाज के पिछड़े वर्गों को ऊपर उठाया जा सकता है। वे महिलाओं के अधिकारों के भी प्रबल समर्थक थे। उनका योगदान भारत के संविधान निर्माण में अद्वितीय रहा है।

बाबा साहेब के विचार आज भी प्रासंगिक

  • “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।”
  • “जो व्यक्ति अपनी गुलामी की जंजीरों को पहचानता नहीं, वह कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता।”

राष्ट्रपति का आह्वान

राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संदेश में कहा, “आइए, इस अवसर पर हम सब डॉ. अंबेडकर की शिक्षाओं और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जहां सामाजिक समरसता और समानता का आदर्श स्वरूप दिखाई दे।”

देशभर में कार्यक्रम

अंबेडकर जयंती के अवसर पर देशभर में रैलियां, सांस्कृतिक आयोजन और संगोष्ठियां आयोजित की गईं। स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में बाबासाहेब के योगदान पर प्रकाश डाला गया और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।

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