इलाहाबाद हाईकोर्ट को मिले छह नए जज, जस्टिस भूषण गवई होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश
“केंद्र सरकार ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति से जुड़ी एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर छह न्यायिक अधिकारियों को हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी है। यह नियुक्तियां उस तारीख से प्रभावी होंगी जिस दिन वे पदभार ग्रहण करेंगे।“
इस कदम से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था को नई ताकत मिलेगी और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में नियुक्त छह नए न्यायाधीश
केंद्र सरकार द्वारा जिन न्यायिक अधिकारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया है, उनके नाम निम्नलिखित हैं:
- जितेंद्र कुमार सिन्हा
- अनिल कुमार
- संदीप जैन
- अवनीश सक्सेना
- मदन पाल सिंह
- हर्वीर सिंह
ये सभी अधिकारी न्यायपालिका में अपने लंबे और प्रतिष्ठित अनुभव के लिए जाने जाते हैं। इनकी नियुक्ति से अदालत की न्यायिक क्षमता में सुधार आएगा।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दी थी मंजूरी
गौरतलब है कि इन सभी नामों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 2 अप्रैल 2025 को हुई अपनी बैठक में अनुमोदित किया था। कॉलेजियम की सिफारिश के बाद यह प्रक्रिया पूरी की गई और कानून मंत्रालय ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर को साझा करते हुए नए जजों को शुभकामनाएं दीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की भूमिका और महत्व
इलाहाबाद हाईकोर्ट, उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा न्यायिक संस्थान है और इसका मुख्यालय प्रयागराज में स्थित है। यह देश के सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है और इसमें न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 160 से अधिक है।
वर्तमान में जस्टिस अरुण भंसाली इस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से अदालत में लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने में मदद मिलेगी।
भारत को मिलेगा नया मुख्य न्यायाधीश: जस्टिस भूषण गवई
इस नियुक्ति के साथ ही भारतीय न्यायपालिका में एक और बड़ा बदलाव सामने आया है। भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजय खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके स्थान पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को अगला मुख्य न्यायाधीश नामित किया गया है।
जस्टिस गवई: एक प्रोफ़ाइल
- वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश
- अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे
- 14 मई 2025 को लेंगे देश के 52वें CJI के रूप में शपथ
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु दिलाएंगी उन्हें शपथ
- कार्यकाल: 6 महीने (नवंबर 2025 तक)
जस्टिस गवई की नियुक्ति का सामाजिक और न्यायिक महत्व
जस्टिस गवई की नियुक्ति को सामाजिक समावेशिता और न्यायिक विविधता के नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह नियुक्ति भारत के न्यायिक ढांचे में समानता और प्रतिनिधित्व के नए मानदंड स्थापित करती है।
कानून मंत्रालय की सक्रियता और पारदर्शिता
इन न्यायिक नियुक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि कानून मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम मिलकर देश की न्यायिक प्रणाली को सशक्त और समयबद्ध बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। इससे न केवल लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी, बल्कि न्यायिक विश्वास भी बढ़ेगा।
उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति: एक सतत प्रक्रिया
भारत की अदालतों में जजों की कमी एक लंबे समय से चिंता का विषय रही है। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में खाली पदों को भरने के लिए कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से योग्य न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जाता है।
इस प्रक्रिया में CJI की सिफारिश, कॉलेजियम की मंजूरी, और अंत में राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति शामिल होती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति और भारत को नया मुख्य न्यायाधीश मिलने की घोषणा दोनों ही भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। इससे न केवल न्यायिक प्रणाली की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि लोगों का विश्वास भी मजबूत होगा।
सरकार, कॉलेजियम और न्यायालय के बीच बेहतर तालमेल से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भारत की न्यायपालिका न्याय के मूल सिद्धांतों को प्रभावी रूप से लागू करने में सक्षम बनी रहे।