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नई दिल्ली में आयोजित मंथन शिविर में पेट्रोकेमिकल उद्योग की चुनौतियों पर विचार

मंथन शिविर में पेट्रोकेमिकल उद्योग के विकास, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर मंथन

"नई दिल्ली, अप्रैल 2025:
भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग द्वारा देश की राजधानी नई दिल्ली में एक दिवसीय मंथन शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य भारतीय रसायन और पेट्रोकेमिकल उद्योग की दीर्घकालिक प्रगति, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए विचार-विमर्श और रणनीति निर्माण करना था।"


छह प्रमुख विषयों पर हुआ मंथन

शिविर के दौरान उद्योग से जुड़ी छह प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर अलग-अलग समूहों में चर्चा की गई:

  1. बुनियादी ढांचे का विकास
  2. स्थिरता और परिपत्र अर्थव्यवस्था
  3. व्यापार सुधार और नीतिगत बाधाएं
  4. विनिर्माण को बढ़ावा देना
  5. कुशल कार्यबल तैयार करना
  6. भविष्य के लिए प्लास्टिक उद्योग का रोडमैप बनाना

पेट्रोकेमिकल उद्योग: अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार

पेट्रोकेमिकल उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक मूलभूत योगदान करता है, खासतौर पर प्लास्टिक, रसायन, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में। सरकार का उद्देश्य इस उद्योग को न केवल आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों के अनुरूप बनाना है, बल्कि इसे पर्यावरण के अनुकूल और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम भी करना है।


भागीदार मंत्रालय और संस्थाएं

इस मंथन शिविर में केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें शामिल थे:

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (डीपीआईआईटी)
  • वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग)
  • कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
  • नीति आयोग, कपड़ा मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग

इसके अतिरिक्त, प्रमुख संस्थाएं जैसे:

  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
  • सीआईपीईटी (CIPET)
  • एचओसीएल (HOCL)
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)

भी इसमें शामिल रहीं।


समूह आधारित चर्चाओं का प्रारूप

शिविर को छह विशेषज्ञ समूहों में विभाजित किया गया, जहां प्रत्येक समूह ने एक विशिष्ट विषय पर व्यापक विश्लेषण किया। इन चर्चाओं का उद्देश्य था:

  • उद्योग की बाधाओं को समझना
  • समाधानपरक दृष्टिकोण अपनाना
  • सुझावों को नीति रूप देने का प्रारूप तैयार करना
  • विभागों के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ाना

प्रमुख बिंदुओं पर विशेष ध्यान

विषयचर्चा का मुख्य केंद्र
बुनियादी ढांचालॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, औद्योगिक पार्क्स
परिपत्र अर्थव्यवस्थापुनर्चक्रण, अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रीन केमिस्ट्री
व्यापार सुधारलाइसेंसिंग, कर नीति, निर्यात में सुधार
विनिर्माण प्रोत्साहननिवेश आकर्षण, FDI नीति, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत योजनाएं
कार्यबल कौशलतकनीकी प्रशिक्षण, स्किल हब की स्थापना
प्लास्टिक उद्योग का भविष्यबायोप्लास्टिक, सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध, नवाचार नीति

प्लास्टिक उद्योग की रणनीतिक तैयारी

विशेष ध्यान प्लास्टिक क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल और भविष्य-प्रोफ तकनीकों से जोड़ने पर दिया गया। इसमें बायोप्लास्टिक्स, रीसायक्लिंग मॉडल, और स्मार्ट विनिर्माण जैसे नवाचार शामिल हैं।


नीति निर्माण में सहकारिता का मॉडल

इस मंथन शिविर का एक बड़ा उद्देश्य था विभिन्न मंत्रालयों, सार्वजनिक संस्थाओं और उद्योग हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करना ताकि एक एकीकृत रणनीति तैयार की जा सके।

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