खादी और ग्रामोद्योग कारोबार पहली बार 1.70 लाख करोड़ के पार, उत्पादन और रोजगार में भी नया रिकॉर्ड
खादी और ग्रामोद्योग कारोबार 1.70 लाख करोड़ के पार: भारत की आत्मनिर्भरता की नई कहानी
"खादी और ग्रामोद्योग कारोबार ने वर्ष 2024-25 में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 1.70 लाख करोड़ रुपए की बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है। यह उपलब्धि न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देती है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर एक मजबूत कदम भी है।"
उत्पादन और बिक्री में ऐतिहासिक वृद्धि
वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़े:
- उत्पादन: ₹1,16,599.75 करोड़ (347% वृद्धि)
- बिक्री: ₹1,70,551.37 करोड़ (447% वृद्धि)
तुलना में वर्ष 2013-14 के आंकड़े:
- उत्पादन: ₹26,109.07 करोड़
- बिक्री: ₹31,154.19 करोड़
इस तरह 11 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग ने अपनी गति को चार से पांच गुना तक बढ़ा दिया है, जो कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस संकेत है।
खादी वस्त्रों में जबरदस्त उछाल
खादी वस्त्रों का उत्पादन:
- 2013-14: ₹811.08 करोड़
- 2024-25: ₹3,783.36 करोड़ (366% वृद्धि)
खादी वस्त्रों की बिक्री:
- 2013-14: ₹1,081.04 करोड़
- 2024-25: ₹7,145.61 करोड़ (561% वृद्धि)
इस आश्चर्यजनक वृद्धि का बड़ा कारण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खादी को बढ़ावा देना और युवाओं में इसके प्रति बढ़ती जागरूकता है।
रोजगार सृजन में केवीआईसी का योगदान
संचयी रोजगार (Cumulative Employment):
- 2013-14: 1.30 करोड़
- 2024-25: 1.94 करोड़ (49.23% वृद्धि)
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने गांव-गांव में रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। इससे ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
पीएमईजीपी योजना का योगदान
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत:
- कुल इकाइयाँ स्थापित: 10,18,185
- कुल ऋण सहायता: ₹73,348.39 करोड़
- सब्सिडी वितरित: ₹27,166.07 करोड़
- रोजगार सृजन: 90,04,541 लोगों को
यह योजना देश के छोटे उद्यमियों और बेरोजगार युवाओं के लिए आजीविका का मजबूत साधन बनी है।
ग्रामोद्योग भवन की बिक्री में भी दोगुना उछाल
- 2013-14: ₹51.02 करोड़
- 2024-25: ₹110.01 करोड़ (115% वृद्धि)
नई दिल्ली स्थित ग्रामोद्योग भवन की यह बिक्री इस बात का संकेत है कि शहरी उपभोक्ताओं में भी खादी और ग्राम उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
महिला सशक्तिकरण में खादी की भूमिका
प्रशिक्षित महिला प्रशिक्षु:
- कुल प्रशिक्षु: 7,43,904
- महिलाएं: 4,27,394 (57.45%)
खादी के कार्यक्षेत्र में 80% तक की महिला भागीदारी ने यह साबित किया है कि यह क्षेत्र महिला नेतृत्व वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का सशक्त मंच बन गया है।
बजट वृद्धि से ग्रामोद्योग विकास को मिलेगा बल
ग्रामोद्योग विकास योजना का बजट:
- 2021-22: ₹25.65 करोड़
- 2025-26: ₹60 करोड़ (134% की वृद्धि)
बजट में यह वृद्धि इस दिशा में इशारा करती है कि सरकार ग्रामोद्योग को एक स्थायी ग्रामीण आजीविका के तौर पर देख रही है।
प्रधानमंत्री मोदी और केवीआईसी अध्यक्ष की भूमिका
केवीआईसी अध्यक्ष मनोज कुमार ने खादी की इस सफलता का श्रेय महात्मा गांधी की प्रेरणा, प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और देश के कारीगरों की मेहनत को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि खादी और ग्रामोद्योग भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में अहम भूमिका निभा रहा है।
भारत के गांवों से विश्व की अर्थव्यवस्था तक खादी की पहुंच
खादी और ग्रामोद्योग कारोबार की यह रिकॉर्ड-ब्रेकिंग वृद्धि भारत की स्थानीय से वैश्विक की सोच, आत्मनिर्भर भारत की नींव, और ग्रामीण सशक्तिकरण के विज़न को मज़बूत करती है। इस मॉडल को अपनाकर न केवल देश, बल्कि दुनिया भर में सतत विकास और रोजगार के लिए नई दिशा तय की जा सकती है।