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भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात अप्रैल 2025 में 7.45% बढ़ा

अप्रैल 2025 में भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात (Textile and Apparel Export) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में टीएंडए निर्यात में साल-दर-साल 7.45% की बढ़त दर्ज की गई। यह वृद्धि मुख्यतः परिधान खंड के मजबूत प्रदर्शन के कारण संभव हुई है, जिसमें 14.43% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।

परिधान निर्यात में अमेरिका की भूमिका अहम

परिधान निर्यात में इस वृद्धि के पीछे अमेरिका की बड़ी भूमिका रही है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (CITI) के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने बताया कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ उपायों के बाद अमेरिका को भारतीय परिधान की शिपमेंट में बढ़ोतरी हुई है। इससे निर्यात में तेजी आई है और भारतीय उत्पादों की मांग में वृद्धि देखने को मिली है।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता बना नई उम्मीद

राकेश मेहरा ने यह भी कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारतीय वस्त्र और परिधान उद्योग को नई दिशा मिलने की संभावना है। इस समझौते से भारतीय उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में बिना किसी सीमा शुल्क के प्रवेश मिलेगा, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निर्यात को नया आयाम मिलेगा।

अप्रैल 2025 में आंकड़े क्या कहते हैं?

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार:

  • अप्रैल 2025 में कुल कपड़ा निर्यात में 2.61% की वृद्धि देखी गई।
  • परिधान निर्यात 14.43% बढ़कर 1.37 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष इसी माह में 1.2 बिलियन डॉलर था।
  • समग्र टीएंडए क्षेत्र (Textile and Apparel) ने 2023-24 की तुलना में 2024-25 के शुरुआती महीने में 6.3% की वृद्धि दर्ज की।

कुल निर्यात में भी आई तेजी

भारत से अप्रैल 2025 में कुल वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 12.7% बढ़कर 73.80 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह आंकड़ा पिछले साल अप्रैल में 65.48 अरब डॉलर था। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद यह प्रदर्शन सकारात्मक रहा।

टीएंडए क्षेत्र को मिली मजबूती के पीछे प्रमुख कारण

1. अमेरिका में बढ़ी मांग

रेसिप्रोकल टैरिफ नीति के तहत भारतीय परिधान की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। अमेरिका जैसे बड़े बाजार से मिलने वाले ऑर्डर में बढ़ोतरी निर्यात को सीधे प्रभावित करती है।

2. भारत-ब्रिटेन एफटीए

भारत और यूके के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय वस्त्र उद्योग को यूरोप में प्रतिस्पर्धा का लाभ मिलेगा।

3. सरकार की नीतिगत पहलें

सरकार द्वारा पीएलआई योजना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन और एमएसएमई को दिए गए समर्थन ने उद्योग को प्रोत्साहन दिया।

4. वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव

चीन की सप्लाई चेन में बाधाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत का रुख किया है, जिससे निर्यातकों को नए अवसर मिले।

आगे का मार्ग: भारत का निर्यात भविष्य

भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात यदि इसी गति से बढ़ता रहा, तो आने वाले महीनों में यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में और अधिक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। नई बाजार रणनीतियां, सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन, और वैश्विक बाजार में स्थिरता आने से इस क्षेत्र की ग्रोथ और तेज हो सकती है।

निर्यातकों को क्या करना चाहिए?

  • गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी पर विशेष ध्यान देना होगा।
  • तकनीक और डिज़ाइन में नवाचार की आवश्यकता है।
  • वैश्विक मांग के अनुरूप उत्पादन प्रक्रिया को बेहतर बनाना चाहिए।
  • एफटीए का लाभ उठाते हुए यूरोप और अन्य बाजारों में उपस्थिति मजबूत करनी होगी।

भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात अप्रैल 2025 में मजबूत प्रदर्शन के साथ उभरता हुआ नजर आया है। वैश्विक नीतियों, एफटीए और सरकार की योजनाओं ने इस सेक्टर को नई ऊर्जा दी है। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है और निर्यातकों के लिए नए अवसर लेकर आई है।

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