NationalNews

भारत-ईयू रिसर्च साझेदारी: समुद्री कचरा और ग्रीन हाइड्रोजन समाधान की ओर मजबूत कदम

भारत-ईयू रिसर्च साझेदारी ने पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए एक ठोस शुरुआत की है। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने दो नई रिसर्च और इनोवेशन परियोजनाओं की घोषणा की है। ये परियोजनाएं समुद्री प्लास्टिक कचरे (Marine Plastic Litter) और वेस्ट-टू-ग्रीन हाइड्रोजन (Waste-to-Green Hydrogen) समाधान से जुड़ी हैं।

ये प्रयास इंडिया-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल (TTC) के अंतर्गत किए गए हैं, जिसकी स्थापना 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने की थी।

परियोजनाओं में 391 करोड़ रुपये का संयुक्त निवेश

‘होराइजन यूरोप’ और भारत सरकार की सह-वित्तीय भागीदारी

इन दोनों रिसर्च परियोजनाओं के लिए भारत और यूरोपीय संघ ने 391 करोड़ रुपये का संयुक्त निवेश किया है। इन्हें यूरोपीय संघ के ‘होराइजन यूरोप’ प्रोग्राम और भारत सरकार की ओर से सह-वित्तपोषित किया गया है। यह सहयोग दर्शाता है कि वैज्ञानिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर वैश्विक साझेदारी कैसे सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण: एक वैश्विक चिंता

समुद्री इकोसिस्टम को नुकसान

समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण वैश्विक जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। समुद्री जीव, इकोसिस्टम और मानवीय स्वास्थ्य इस संकट से गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा:

“समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और नवीनतम तकनीकों की सख्त आवश्यकता है।”

भारत और ईयू का रिसर्च सहयोग कैसे मदद करेगा?

इन पहलों का उद्देश्य ऐसे एडवांस टूल्स और रणनीतियों का विकास करना है, जो समुद्री कचरे को रोक सकें, रिसाइकलिंग को बढ़ावा दें और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करें।

वेस्ट-टू-ग्रीन हाइड्रोजन: ऊर्जा संक्रमण की दिशा में बड़ा कदम

सतत ऊर्जा समाधान की तलाश

दूसरी परियोजना का फोकस है कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों का विकास करना। यह ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली तकनीक मानी जा रही है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव संतोष कुमार सारंगी ने कहा:

“ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी ट्रांजिशन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।”

ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ

  • कार्बन उत्सर्जन में कमी
  • स्वच्छ ऊर्जा का सृजन
  • अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार
  • रोजगार के नए अवसर

प्रौद्योगिकी, नवाचार और सतत विकास का मिलन

भारत-ईयू इनोवेशन का दृष्टिकोण

सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा:

“भारत-ईयू रिसर्च साझेदारी वैज्ञानिक नवाचार की नींव है। इन पहलों से दोनों क्षेत्रों की तकनीकी क्षमताओं का लाभ मिलेगा।”

ईयू राजदूत का बयान

भारत में ईयू के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने बताया कि यह सहयोग सर्कुलर इकोनॉमी, एनर्जी एफिशिएंसी और क्लाइमेट एक्शन को आगे बढ़ाएगा।

समुद्री प्रदूषण पर वैश्विक नजरिया

प्रदूषण के कारण

  • प्लास्टिक उत्पादों का अत्यधिक उपयोग
  • अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन
  • समुद्रों में कचरा फेंकने की प्रवृत्ति

प्रभाव

  • समुद्री जीवों की मृत्यु
  • भोजन श्रृंखला में प्लास्टिक
  • पर्यावरणीय संतुलन में बाधा

भारत और ईयू के बीच विज्ञान और पर्यावरण पर सहयोग की दिशा

टीटीसी का योगदान

इंडिया-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल का उद्देश्य तकनीक, व्यापार और नवाचार को जोड़कर एक स्थायी वैश्विक भविष्य बनाना है। इस परिषद ने भारत और यूरोपीय संघ को वैज्ञानिक क्षेत्र में एकजुट किया है।

अगले कदम क्या हो सकते हैं?

  1. रिसर्च फंडिंग में निरंतरता
  2. स्टार्टअप और उद्योगों की भागीदारी
  3. स्वदेशी तकनीकों का विकास
  4. आमजन की जागरूकता और सहभागिता

भारत-ईयू रिसर्च साझेदारी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों को साझा करती है, बल्कि यह दो भौगोलिक रूप से दूर देशों के बीच सहयोग की गहराई को भी दर्शाती है। समुद्री प्रदूषण को कम करना और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी ऊर्जा तकनीकों को बढ़ावा देना भविष्य की जरूरत है। इन पहलों से भारत और यूरोपीय संघ एक साथ मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए तैयार दिखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *