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नीरज चोपड़ा ने तोड़ा 90 मीटर का बैरियर, दोहा डायमंड लीग में रचा नया इतिहास

भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग 2025 में वह कर दिखाया, जिसका इंतजार देश और दुनिया को सालों से था। उन्होंने पहली बार 90 मीटर की दूरी पार करते हुए 90.23 मीटर भाला फेंका और अपने करियर का नया पर्सनल बेस्ट बनाया।

नीरज का यह थ्रो उनके तीसरे प्रयास में आया, जिससे उन्होंने दुनियाभर के एथलेटिक्स प्रेमियों को चौंका दिया। इससे पहले उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.94 मीटर था, जो उन्होंने 2022 के स्टॉकहोम डायमंड लीग में फेंका था।

हालांकि इस शानदार प्रयास के बावजूद नीरज को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा, क्योंकि जर्मनी के वेबर जूलियन ने आखिरी और छठे प्रयास में 91.06 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया।

नीरज चोपड़ा 90 मीटर थ्रो का प्रतीक बन गए

90 मीटर की दूरी जैवलिन थ्रो में एक मनोवैज्ञानिक और तकनीकी बाधा मानी जाती है। नीरज कई बार इसके करीब पहुंचे, लेकिन कभी 88, तो कभी 89 मीटर तक ही थमे। ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन बनने के बावजूद लोगों के मन में सवाल था—क्या नीरज कभी 90 मीटर फेंक पाएंगे? इस बार उन्होंने इस सवाल को एक ऐतिहासिक जवाब में बदल दिया।

कोच जेलेज्नी का प्रभाव: सफलता का नया सूत्र

नीरज ने हाल ही में अपने पुराने कोच डॉ. क्लॉस बार्टोनिएट्ज को बदलकर तीन बार के ओलंपिक चैंपियन और जैवलिन लीजेंड जान जेलेज्नी को कोच बनाया। उनके मार्गदर्शन में ही नीरज ने यह 90 मीटर का बैरियर तोड़ा। जेलेज्नी खुद भी 98.48 मीटर का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखते हैं।

90 मीटर क्लब में शामिल नीरज

अब नीरज चोपड़ा उन चुनिंदा एथलीटों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने 90 मीटर से अधिक भाला फेंका है। इस क्लब में पाकिस्तान के अर्शद नदीम भी शामिल हैं, जिन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता है।

मुकाबला था टॉप एथलीट्स से

दोहा डायमंड लीग 2025 में नीरज का मुकाबला कई दिग्गज खिलाड़ियों से था:

  • वेबर जूलियन (जर्मनी) – गोल्ड मेडल विजेता
  • एंडरसन पीटर्स (ग्रेनेडा) – कांस्य पदक विजेता (85.64 मीटर)
  • याकुब वाडलेजच (चेकिया) – पूर्व विजेता
  • मैक्स डेह्निंग (जर्मनी)
  • जूलियस येगो (केन्या)
  • रोडरिक जेंकी डीन (जापान)

इन सभी खिलाड़ियों के सामने नीरज का प्रदर्शन क्लास लीडर की तरह रहा।

देश को गर्व, युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा

नीरज का यह रिकॉर्ड न केवल उनके करियर की उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के एथलेटिक्स इतिहास में भी सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। यह युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देता है कि लगातार मेहनत और सही कोचिंग से कोई भी सीमा पार की जा सकती है।

नीरज का 90.23 मीटर का थ्रो दिखाता है कि वे अब एक टेक्निकली परफेक्ट एथलीट बन चुके हैं। उनका संतुलन, रन-अप, रिलीज और टारगेटिंग एक विश्व स्तरीय थ्रोअर की पहचान है।

नीरज का अगला लक्ष्य

90 मीटर का आंकड़ा पार करना उनके लिए एक मील का पत्थर है, लेकिन असली फोकस अब पेरिस ओलंपिक 2028 पर होगा, जहां वे एक बार फिर स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से मैदान में उतरेंगे।

नीरज की सफलता में क्या संदेश छिपा है?

नीरज चोपड़ा की कहानी यह दिखाती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, अगर उसके लिए सही दिशा में लगातार मेहनत की जाए। उन्होंने दिखा दिया कि भारतीय एथलीट्स भी अब विश्वस्तरीय प्रदर्शन कर सकते हैं, न केवल एशिया या राष्ट्रमंडल स्तर पर।

नीरज चोपड़ा 90 मीटर थ्रो के साथ अब सिर्फ एक एथलीट नहीं, बल्कि भारतीय खेलों का प्रतीक बन गए हैं। दोहा डायमंड लीग 2025 में उनका प्रदर्शन यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ हिस्सा लेने वाला देश नहीं, बल्कि खेलों का लीडर बन सकता है। आने वाले वर्षों में हम नीरज से और भी बड़े कीर्तिमानों की उम्मीद कर सकते हैं।

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