पंजाब के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन: एक युग का अंत
“सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन पंजाब की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 89 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ। वे शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री थे। उनका जीवन सादगी, समर्पण और जनसेवा की मिसाल रहा।“
राजनीतिक जीवन की शुरुआत से केंद्रीय मंत्रिमंडल तक का सफर
विधानसभा से संसद तक
1972 में धनौला विधानसभा सीट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले ढींडसा ने पंजाब की राजनीति में कई अहम पड़ाव पार किए। 1977 और 1985 में उन्होंने सुनाम, और 1980 में संगरूर से विधानसभा चुनाव जीते। यह दिखाता है कि जनता में उनका आधार कितना मजबूत था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में भूमिका
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उन्होंने रसायन और उर्वरक मंत्री और खेल मंत्री के रूप में अहम जिम्मेदारियां निभाईं। उनकी पहचान एक कार्यकुशल और शांत स्वभाव के नेता के रूप में बनी रही।
शिरोमणि अकाली दल से मतभेद और टकसाली जुड़ाव
ढींडसा लंबे समय तक शिरोमणि अकाली दल (SAD) से जुड़े रहे। वे पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में गिने जाते थे और संरक्षक की भूमिका में भी रहे। लेकिन समय के साथ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मतभेद बढ़े। 2023 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में SAD से निष्कासित कर दिया गया।
इसके बाद उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) से नाता जोड़ा और पंजाब की राजनीति में दोबारा सक्रिय होने का प्रयास किया। हालांकि स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों ने उनकी सक्रियता को सीमित कर दिया।
स्वास्थ्य और अंतिम समय
पिछले कुछ वर्षों से सुखदेव सिंह ढींडसा कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। उम्रजनित समस्याओं के चलते वे सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए हुए थे। बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से पंजाब की राजनीति में शोक की लहर फैल गई।
राजनीतिक नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
कैप्टन अमरिंदर सिंह
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दुख जताते हुए कहा,
“सुखदेव सिंह ढींडसा जी एक गरिमामय, ईमानदार और समर्पित नेता थे, जिन्होंने हमेशा पंजाब की सेवा निष्ठा से की। उनके निधन से राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है।”
अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
राज्य और केंद्र स्तर के कई नेताओं ने ढींडसा के योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके निधन को एक “राजनीतिक युग के अंत” के रूप में देखा जा रहा है।
ढींडसा की राजनीति में खास पहचान
सादगी और ईमानदारी की मिसाल
ढींडसा को हमेशा एक ईमानदार और जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना गया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कभी सत्ता का दुरुपयोग नहीं किया। सादगी और विनम्रता उनके व्यक्तित्व की खासियत थी।
पंजाब हित में निर्णय
उनकी नीतियां और निर्णय हमेशा पंजाब और किसानों के हित में केंद्रित रहे। चाहे कृषि सुधार की बात हो या उद्योग विकास की, उन्होंने जनता के पक्ष को प्राथमिकता दी।
सुखदेव सिंह ढींडसा का राजनीतिक योगदान
वर्ष | क्षेत्र | भूमिका |
---|---|---|
1972 | धनौला | विधायक |
1977 | सुनाम | विधायक |
1980 | संगरूर | विधायक |
1985 | सुनाम | विधायक |
1998–2004 | भारत सरकार | केंद्रीय मंत्री (रसायन एवं उर्वरक, खेल) |
पंजाब की राजनीति में उनकी विरासत
सुखदेव सिंह ढींडसा का जीवन प्रेरणास्पद है। उन्होंने सियासत को सेवा का माध्यम माना और कभी पद की लालसा में अपनी निष्ठा से समझौता नहीं किया। उनकी राजनीतिक विरासत भावी नेताओं को मार्गदर्शन देती रहेगी।
परिवार और समाज में छाया शोक
ढींडसा के निधन से न केवल राजनीतिक जगत बल्कि समाज के हर वर्ग में दुख की लहर है। उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। समर्थकों के लिए उनका जाना व्यक्तिगत क्षति जैसा महसूस हो रहा है।
सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन सिर्फ एक राजनेता की मौत नहीं, बल्कि एक ऐसे युग का अंत है जिसने पंजाब की राजनीति में सादगी, सेवा और सिद्धांतों की मिसाल पेश की। उनके आदर्श और काम आने वाले वर्षों में लोगों को मार्ग दिखाते रहेंगे।