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पाकिस्तान के साथ क्या खिचड़ी पका रहा रूस? दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने की मुलाकात, जानें भारत के लिए टेंशन

पाकिस्तान और रूस के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच हुई मुलाकात ने क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत के लिए चिंता को बढ़ा दिया है। यह बैठक इस बात की ओर इशारा करती है कि दोनों देश एक नई रणनीतिक साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं, जो दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।

मुलाकात का विवरण

रूस के सैन्य प्रमुख जनरल वैलेरी गेरासिमोव और पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल साजिद नवाज के बीच हुई इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें आतंकवाद, रक्षा सहयोग, और क्षेत्रीय सुरक्षा के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत के लिए चिंताएँ

  1. सैन्य सहयोग का विस्तार: इस बैठक से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान और रूस अपने सैन्य संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे भारत को चिंता है कि पाकिस्तान को आधुनिक सैन्य तकनीक और हथियार मिल सकते हैं, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
  2. दक्षिण एशिया में रूस की बढ़ती भागीदारी: रूस की पाकिस्तान के साथ बढ़ती निकटता, विशेषकर चीन के साथ उसके संबंधों को देखते हुए, भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को चुनौती दे सकती है। भारत ने पारंपरिक रूप से रूस के साथ मजबूत रक्षा संबंध बनाए रखे हैं, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है।
  3. आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद का समर्थन भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। यदि रूस और पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ता है, तो यह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।

संभावित परिणाम

  • सामरिक संतुलन में बदलाव: अगर रूस और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग बढ़ता है, तो यह क्षेत्रीय सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे भारत को अपनी रक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
  • भारत की विदेश नीति: इस स्थिति से भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है, विशेष रूप से अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में।

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