भारत की बेरुखी के बाद नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने चुनी चीन की राह: पहली विदेश यात्रा पर जा रहे
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल पार्टी के प्रमुख केपी शर्मा ओली ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन का चयन किया है। भारत की ओर से उपेक्षा मिलने के बाद ओली ने चीन से संबंध मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ओली, जो भारत पर कई बार कटाक्ष कर चुके हैं, इस यात्रा में चीन के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर बातचीत करने का इरादा रखते हैं। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य नेपाल के लिए चीन से कूटनीतिक और आर्थिक लाभ प्राप्त करना बताया जा रहा है।
ओली का भारत से कड़वा रिश्ता
- भारत-नेपाल संबंधों में तनाव: केपी शर्मा ओली के पिछले कार्यकाल में भारत और नेपाल के बीच संबंधों में खटास देखी गई थी। ओली ने कई बार भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। उन्होंने विवादित नक्शे को मंजूरी देकर भारत के साथ सीमा विवाद को भी बढ़ावा दिया था।
- भारत की ओर से नजरअंदाज: हाल ही में नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बाद, भारत ने ओली को विशेष तवज्जो नहीं दी। नेपाल की नई सरकार और भारत के बीच बेहतर संबंध बन रहे हैं, जिससे ओली खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
चीन के साथ ओली का एजेंडा
ओली की चीन यात्रा के पीछे मुख्य उद्देश्य चीन के साथ आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाना है। माना जा रहा है कि ओली चीन के साथ कुछ प्रमुख परियोजनाओं पर बातचीत करेंगे, जिनमें से मुख्य बिंदु ये हैं:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: ओली चीन के साथ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत नेपाल में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर जोर दे सकते हैं, जिसमें रेल और सड़क संपर्क परियोजनाएं शामिल हैं।
- व्यापारिक समझौते: ओली का उद्देश्य नेपाल को चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में अधिक लाभ दिलाना है। इसके तहत चीन के बाजार में नेपाल के उत्पादों की आसान पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है।
- सुरक्षा और सैन्य सहयोग: चीन के साथ रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में भी ओली सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। नेपाल और चीन के बीच सैन्य प्रशिक्षण, उपकरण और तकनीकी सहायता को लेकर भी बात हो सकती है।
भारत के लिए संदेश
केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा को भारत के लिए एक संकेत माना जा रहा है। नेपाल में अक्सर चीन का प्रभाव बढ़ाने के पक्षधर ओली, भारत को यह दिखाना चाहते हैं कि अगर भारत उनकी उपेक्षा करेगा, तो नेपाल के पास चीन का विकल्प हमेशा खुला है। नेपाल की राजनीति में चीन का प्रभाव बढ़ाना ओली के एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है, ताकि वे भारत पर निर्भरता को कम कर सकें।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
ओली की इस यात्रा के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल में चीन की कितनी आर्थिक और राजनीतिक सहायता बढ़ती है। हालांकि, नेपाल के लिए भी चीन से कूटनीतिक संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि चीन के बड़े निवेश से जुड़े ऋण का दबाव भविष्य में नेपाल की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है।