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भारत में मध्यम वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव

भारत में मध्यम वर्ग की स्वास्थ्य सेवा में पिछले एक दशक में बड़ा बदलाव आया है। सरकारी योजनाओं, डिजिटल प्रौद्योगिकी और किफायती दवाओं के संयोजन से अब आम लोगों के लिए इलाज कराना पहले से आसान हो गया है। ये बदलाव धीरे-धीरे आए, लेकिन इनका असर बेहद गहरा और दूरगामी रहा।

आयुष्मान भारत योजना: हर जरूरतमंद तक मुफ्त इलाज की पहुंच

स्वास्थ्य बीमा का सबसे बड़ा नेटवर्क

आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बन गई है। इसका उद्देश्य उन लोगों को इलाज की सुविधा देना है जो पहले अस्पताल जाने से डरते थे, खासकर खर्च के कारण।

इस योजना के अंतर्गत अब तक 40.84 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं और 8.59 करोड़ लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिन पर कुल 1,19,858 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

बुजुर्गों के लिए भी राहत

29 अक्टूबर 2024 से यह योजना 70 साल या उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए बिना किसी आय सीमा के लागू कर दी गई है। इसका सबसे बड़ा लाभ मध्यम वर्ग के उन बुजुर्गों को हुआ है जो निजी बीमा का खर्च नहीं उठा सकते थे।

जन औषधि योजना: दवाओं को सबकी पहुंच में लाना

सस्ती दवाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) ने ब्रांडेड दवाओं की महंगाई से छुटकारा दिलाया है।

  • 2014 में जहां केवल 80 केंद्र थे, अब 2025 में यह संख्या बढ़कर 16,469 केंद्र हो गई है।
  • ये केंद्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रमाणित दवाएं 50% से 80% कम कीमत पर उपलब्ध कराते हैं।

चिरकालिक रोगों पर नियंत्रण में मदद

हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से जूझ रहे मध्यम वर्ग के लिए यह योजना जीवनरक्षक साबित हुई है।

अब इन केंद्रों पर 2,110 प्रकार की दवाएं और 315 सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध हैं, जो लगभग हर बीमारी की ज़रूरत को पूरा करते हैं।

डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं: इलाज की प्रक्रिया को सरल बनाना

स्वास्थ्य सेवाओं की डिजिटल रीढ़

सरकार ने हेल्थकेयर सेक्टर में डिजिटलीकरण को अपनाकर स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक पारदर्शी, कुशल और सुलभ बनाया है।

  • अब डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड के जरिए मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री को एक क्लिक में एक्सेस किया जा सकता है।
  • अस्पताल में नामांकन, इलाज की निगरानी और बिलिंग जैसे कार्य आसान हो गए हैं।
  • इससे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना भी सुगम हुआ है।

वित्तीय लाभ: दवाओं और इलाज में भारी बचत

38,000 करोड़ की सामूहिक बचत

जन औषधि योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के कारण भारत के मध्यम वर्ग को पिछले 11 वर्षों में कुल मिलाकर 38,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

  • हर दिन लगभग 10 से 12 लाख लोग जन औषधि केंद्रों से लाभ उठा रहे हैं।
  • खासकर लंबे समय तक इलाज की जरूरत वाले मरीजों के लिए यह राहत बेहद मूल्यवान है।

स्वास्थ्य सेवा में सरकार की प्राथमिकता: मध्यम वर्ग को मजबूती देना

किफायती, सुलभ और भरोसेमंद इलाज

इन योजनाओं के चलते अब मध्यम वर्ग:

  • नौकरशाही की जटिलताओं से मुक्त होकर इलाज करवा सकता है।
  • बिना ऋण के अस्पताल में भर्ती हो सकता है।
  • दवाओं की महंगाई से राहत पाता है।
  • और दीर्घकालिक बीमारियों का इलाज सुगमता से करवा सकता है।

भारत में मध्यम वर्ग की स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हुए यह सुधार केवल योजनाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जीवनशैली, मानसिक शांति और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को भी प्रभावित करते हैं।

आज, भारत का मध्यम वर्ग पहले से कहीं अधिक आत्मनिर्भर और सुरक्षित महसूस करता है – और इसका श्रेय जाता है सरकार द्वारा लागू की गई उन योजनाओं को, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को वास्तव में सबकी पहुंच में लाया है।

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