अमित शाह का बिहार दौरा: सहकारिता योजनाओं की सौगात और NDA की चुनावी तैयारी को मिली रफ्तार
“ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को अपने दो दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंचे। यह दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए की रणनीति को धार देने की एक बड़ी पहल है। इसके साथ ही शाह ने राज्य को सहकारिता योजनाओं की करोड़ों की सौगात भी दी।“
पटना पहुंचते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़
भाजपा बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के अनुसार, अमित शाह का पटना एयरपोर्ट पर रात्रि 7:45 बजे आगमन हुआ। इसके बाद उन्होंने भाजपा मुख्यालय में पार्टी विधायकों, सांसदों और नेताओं के साथ बैठक की। देर रात तक पार्टी कोर कमेटी की रणनीतिक बैठक चली, जिसमें 2025 के चुनावी एजेंडे और संगठनात्मक मजबूती पर चर्चा की गई।
गोपालगंज में होगी बड़ी चुनावी रैली
दौरे के दूसरे दिन, रविवार को अमित शाह बिहार के राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र गोपालगंज में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। यह जिला राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गढ़ माना जाता है, और भाजपा की इस सभा को राजनीतिक चुनौती और शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
गोपालगंज रैली में शाह का मुख्य फोकस:
- NDA की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाना
- विकास और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को सामने लाना
- विपक्ष को सीधी चुनौती देना
एनडीए नेताओं के साथ बैठक
गोपालगंज से लौटने के बाद अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर NDA की महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में शामिल होंगे:
- जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार
- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी
यह बैठक गठबंधन समन्वय, सीट बंटवारे, और आगामी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिहाज़ से अहम मानी जा रही है।
सहकारिता योजनाओं की सौगात
शनिवार को शाह ने पटना के बापू सभागार में एक भव्य समारोह में सहकारिता विभाग की कई योजनाओं का उद्घाटन किया। इसमें बिहार के कृषक और ग्रामीण वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने पर ज़ोर दिया गया।
मुख्य घोषणाएँ:
- 5350 पैक्स समितियों के सशक्तिकरण की योजना
- 1000 दुग्ध उत्पादक समितियों, 300 सब्जी उत्पादक समितियों, और 300 हैंडलूम बुनकर समितियों को तकनीकी और वित्तीय सहायता
- मखाना प्रोसेसिंग सेंटर की स्थापना
- मत्स्यजीवी और बुनकर सहयोग समितियों को आधुनिक उपकरण
यह योजनाएँ राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने, स्थानीय रोजगार बढ़ाने और सहकारी मॉडल को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
राजनीतिक संकेत और रणनीति
शाह का यह दौरा कई मायनों में चुनावी रणनीति को मज़बूती देता है:
- भाजपा के अंदरूनी संगठनात्मक समीकरणों को स्पष्ट करना
- गठबंधन में समन्वय और मतभेद सुलझाना
- राजद के प्रभाव वाले क्षेत्रों में सेंध लगाने की रणनीति
- सहकारिता योजनाओं के ज़रिए ग्रामीण वोट बैंक पर फोकस
विशेष रूप से लालू यादव के गढ़ गोपालगंज में रैली करना, एक सीधा राजनीतिक संदेश है कि भाजपा अब पूरे राज्य में सक्रिय और आक्रामक रणनीति के साथ उतर रही है।
सामाजिक और चुनावी समीकरण
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। शाह के इस दौरे में:
- सहकारिता योजनाओं के माध्यम से ओबीसी और किसान वर्ग को साधने की कोशिश की गई।
- गठबंधन के साथियों के साथ बैठक में दलित और महादलित वोट बैंक को ध्यान में रखा गया।
- महिलाओं और युवाओं के लिए स्वावलंबन योजनाओं पर भी बल दिया गया।
यह दर्शाता है कि भाजपा का फोकस अब केवल शहरों या पारंपरिक वोट बैंक तक सीमित नहीं, बल्कि समावेशी चुनावी रणनीति पर है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का यह दो दिवसीय दौरा, केवल योजनाओं की घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में एक नई गति और दिशा देने वाला प्रयास है। सहकारिता क्षेत्र की योजनाओं से विकास का वादा, और गोपालगंज जैसी जगह पर सभा करके राजनीतिक साहस का परिचय — यह दोनों ही भाजपा की आत्मविश्वास से भरी रणनीति को दर्शाते हैं।