भारत में बढ़ेगा एप्पल का मेक इन इंडिया उत्पादन, 2026 तक 40 अरब डॉलर लक्ष्य
“एप्पल का भारत में उत्पादन आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों को छू सकता है। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी एप्पल ने संकेत दिया है कि वह भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को और मजबूत करेगी और वित्त वर्ष 2026 तक यहां से 40 अरब डॉलर (लगभग 3.36 लाख करोड़ रुपये) के उत्पाद तैयार करेगी।“
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहे हैं। इसका असर वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ा है, और कंपनियां अब वैकल्पिक केंद्र तलाश रही हैं। भारत इसी कड़ी में उभरता हुआ प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।
मेक इन इंडिया में एप्पल की बड़ी भागीदारी
एप्पल का भारत में उत्पादन अब ‘मेक इन इंडिया’ पहल का प्रमुख हिस्सा बन चुका है। कंपनी पहले से ही भारत में आईफोन का उत्पादन कर रही है और अब उसे और अधिक विस्तार देने जा रही है। कंपनी की योजना है कि अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर आईफोन आने वाले समय में भारत में तैयार किए जाएं।
टेक कंपनी के सीईओ टिम कुक के अनुसार, अप्रैल-जून की तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले अधिकतर आईफोन भारत में बने होंगे। यह न केवल भारत के लिए तकनीकी दृष्टि से उपलब्धि है, बल्कि निर्यात क्षेत्र में भी बड़ी कामयाबी है।
अमेरिका में भारत निर्मित iPhone का महत्व
एप्पल की रणनीति यह है कि वह अमेरिका में बिकने वाले iPhone को चीन की बजाय भारत में बनाए। इसकी एक प्रमुख वजह अमेरिकी सरकार द्वारा चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ हैं।
टैरिफ के कारण एप्पल पर लागत का दबाव बढ़ा है, और इस वजह से कंपनी को अन्य मैन्युफैक्चरिंग विकल्पों पर ध्यान देना पड़ा है। भारत इस विकल्प में सबसे अहम साबित हो रहा है।
भारत बना स्मार्टफोन निर्यात का प्रमुख केंद्र
वित्त वर्ष 2025 में स्मार्टफोन भारत की शीर्ष निर्यात कैटेगरी रही है। अकेले इस क्षेत्र से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हुआ है। एप्पल जैसी कंपनियों के बढ़ते निवेश ने भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के वैश्विक मानचित्र पर मज़बूत स्थान दिलाया है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत अब केवल घरेलू उपभोग के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार के लिए भी स्मार्टफोन तैयार कर रहा है।
वियतनाम भी बनेगा नया केंद्र, लेकिन भारत को बढ़त
एप्पल के सीईओ ने यह भी कहा कि वियतनाम अब अमेरिका में बिकने वाले iPad, Mac, Apple Watch और AirPods जैसे उत्पादों का नया उत्पादन केंद्र बनता जा रहा है। इसके बावजूद, एप्पल का भारत में उत्पादन खासकर iPhone के लिए प्रमुख बना रहेगा।
भारत की श्रम शक्ति, नीतिगत स्थिरता और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकारी पहलों से यह देश कंपनी के लिए दीर्घकालिक उत्पादन केंद्र बनता जा रहा है।
टैरिफ का असर और कंपनी की रणनीति
एप्पल को इस तिमाही में अमेरिकी टैरिफ के कारण 900 मिलियन डॉलर का प्रभाव झेलना पड़ सकता है। हालांकि, कंपनी का मानना है कि लंबे समय में इसका असर सीमित रहेगा क्योंकि वह वैकल्पिक आपूर्ति केंद्रों की ओर रुख कर रही है।
टिम कुक ने यह भी कहा कि वे टैरिफ के दीर्घकालिक प्रभाव का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते क्योंकि यह अमेरिकी नीति पर निर्भर करेगा।
भारत में बढ़ती मांग भी बना वजह
एप्पल का भारत में उत्पादन सिर्फ निर्यात के लिए नहीं, बल्कि बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भी किया जा रहा है। भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और अब प्रीमियम फोन की मांग भी बढ़ रही है।
टिम कुक ने बताया कि भारत में हाल ही में एप्पल ने एक तिमाही में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है। यह भारत को कंपनी के लिए एक प्रमुख उपभोक्ता बाजार बना रहा है।
आपूर्ति श्रृंखला का विकेंद्रीकरण
विश्व स्तर पर कंपनियां अब केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहतीं। एप्पल भी अब आपूर्ति श्रृंखला का विकेंद्रीकरण कर रही है। चीन अभी भी अमेरिका के बाहर बिकने वाले एप्पल उत्पादों के लिए मुख्य स्रोत बना रहेगा, लेकिन भारत और वियतनाम को आगे बढ़ाकर जोखिम को कम करने की योजना पर काम हो रहा है।
भविष्य की संभावनाएं
सरकार की ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ जैसी योजनाएं, तकनीकी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर रही हैं। इससे आने वाले वर्षों में न केवल एप्पल का भारत में उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि अन्य वैश्विक कंपनियां भी भारत को अपना निर्माण केंद्र बना सकती हैं।