एशिया-प्रशांत में लैब में विकसित मांस की मांग में तेजी
“एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लैब में विकसित मांस की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसे पर्यावरण और पशु कल्याण के दृष्टिकोण से बेहतर विकल्प माना जा रहा है। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और सस्टेनेबल फूड के प्रति झुकाव के कारण यह नया खाद्य विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।”
लैब में विकसित मांस को सेल-आधारित मांस भी कहा जाता है। इसे पशुओं की कोशिकाओं से तैयार किया जाता है, जो लैब में पोषक तत्वों के माध्यम से विकसित की जाती हैं। यह मांस दिखने, स्वाद और पोषण में पारंपरिक मांस के समान होता है।
आज के दौर में बढ़ती जागरूकता के कारण लैब में मांस उत्पादन एक उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है। पर्यावरण, पशु कल्याण और स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं ने उपभोक्ताओं को सस्टेनेबल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया है। यही कारण है कि लैब में मांस उत्पादन में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं।
बढ़ती मांग का कारण:
- लैब में विकसित मांस पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करता है और जल संसाधनों की खपत कम करता है।
- यह तकनीक पशुओं के वध की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह पशु अधिकार समर्थकों के लिए एक बड़ा कदम है।
- लैब में मांस उत्पादन में एंटीबायोटिक्स और हार्मोन्स का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और पोषक बनता है।
- सिंगापुर: पहला देश जिसने लैब में मांस को कानूनी रूप से बिक्री के लिए मंजूरी दी।
- भारत: स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से यहां इस क्षेत्र के विस्तार की संभावनाएं हैं।
- चीन और अमेरिका: इन देशों में सस्टेनेबल फूड के प्रति रुचि तेजी से बढ़ रही है।