वित्त वर्ष 2025-26 में बैंक कर्ज वितरण में बढ़ोतरी की संभावना, RBI की नीतियों से मिल रहा समर्थन
“भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया मौद्रिक नीतियों के चलते वित्त वर्ष 2025-26 में देश में बैंक कर्ज वितरण में लगभग 10.8% की वृद्धि होने की संभावना जताई गई है।“
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में कुल कर्ज वितरण 19 लाख करोड़ से 20.5 लाख करोड़ रुपये के बीच रह सकता है। यह देश की आर्थिक प्रगति और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता के लिहाज से एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
RBI की मौद्रिक नीति और कर्ज वृद्धि के बीच संबंध
रेपो रेट में कटौती का असर
RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में इज़ाफा हुआ है। इससे ब्याज दरें कम हुई हैं, जो कर्ज लेने वालों के लिए फायदेमंद हैं।
लिक्विडिटी कवरेज रेशियो में बदलाव को टालना
RBI ने LCR नियमों में प्रस्तावित बदलावों को टाल दिया, जिससे बैंकों के पास नकदी बनी रही और कर्ज देने की सुविधा बनी रही।
उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए राहत
इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर राहत
RBI ने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए अतिरिक्त प्रावधानों को आसान कर दिया है, जिससे लंबे समय के निवेश को बढ़ावा मिल रहा है।
एनबीएफसी और उपभोक्ता ऋण पर जोखिम भार कम किया गया
असुरक्षित कर्जों और एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्जों पर बढ़े जोखिम भार को वापस लेने से बाजार में ऋण प्रवाह बढ़ने की संभावना मजबूत हुई है।
बैंकों में नकदी प्रवाह को कैसे बढ़ाया जा रहा है?
RBI ने सरकारी बॉन्ड की खरीद और फॉरेक्स स्वैप जैसे उपायों के माध्यम से बैंकों में नकदी की उपलब्धता बढ़ाई है।
तेजी से पहुंचेगा ब्याज दरों में बदलाव का असर
इन उपायों के कारण ब्याज दरों में कटौती का असर सीधे तौर पर और तेजी से अर्थव्यवस्था में महसूस किया जा सकता है, जिससे कर्ज वितरण में तेजी संभव है।
कुछ चुनौतियां भी बरकरार
ICRA रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बैंकों को डिपॉजिट जुटाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो उच्च स्तर पर
बैंकों का क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो अभी भी उच्च है, जिसका अर्थ है कि कर्ज देने की तुलना में जमा की वृद्धि धीमी है।
खुदरा और छोटे व्यापारिक कर्जों में जोखिम बढ़ा
बिना गारंटी वाले खुदरा ऋण और छोटे व्यापारियों को दिए गए कर्ज में डिफॉल्ट का खतरा ज्यादा है, जिससे बैंक सतर्क हैं।
डिपॉजिट दरें कम नहीं होंगी जल्दी
ICRA के उपाध्यक्ष सचिन सचदेवा के अनुसार, उच्च क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो के कारण बैंकों के लिए डिपॉजिट दरों को कम करना संभव नहीं होगा।
लेंडिंग रेट पर दबाव बना रहेगा
बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों की मांग में गिरावट और डेट मार्केट से मिल रही प्रतिस्पर्धा के चलते लेंडिंग रेट पर दबाव बना रह सकता है।
बैंकों की लाभप्रदता बनी रहेगी संतोषजनक
ROA और ROE का अनुमान
ICRA को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 में बैंकों का रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) 1.1% से 1.2% और रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 12.1% से 13.4% के बीच रह सकता है।
नए पूंजी निवेश की जरूरत नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों को नई पूंजी की आवश्यकता नहीं होगी और वे अपने विकास योजनाओं को खुद ही आगे बढ़ा पाएंगे।
बैंकिंग क्षेत्र को “स्थिर” रेटिंग
इन अनुमानों के आधार पर ICRA ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर को “स्थिर” यानी Stable करार दिया है।
यह रेटिंग दर्शाती है कि आने वाले समय में बैंकिंग क्षेत्र में कोई बड़ा संकट नहीं आने वाला है।
आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक संकेत
बैंक कर्ज वितरण में संभावित वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की ओर बढ़ रही है।
MSME और उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और व्यक्तिगत उपभोक्ता वर्ग को अधिक कर्ज मिलेगा, जिससे उत्पादन, रोजगार और खपत को बढ़ावा मिलेगा।
क्या आगे और राहत की उम्मीद है?
अगर वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थितियाँ स्थिर रहती हैं, तो RBI आने वाले महीनों में और नीतिगत नरमी कर सकता है। इससे बैंकिंग क्षेत्र और मजबूत होगा और कर्ज की उपलब्धता और बढ़ेगी।