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भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में बनी रहेगी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लेटेस्ट मासिक बुलेटिन के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेज बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक द्वारा भी समर्थित है, जिन्होंने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% और 6.7% रहने की संभावना जताई है।

भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक

1. हाई-फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर दर्शाते हैं सकारात्मक रुझान

परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI): औद्योगिक गतिविधियों में सुधार दर्ज किया गया।
ट्रैक्टर बिक्री और ईंधन की खपत: ग्रामीण और औद्योगिक मांग में सुधार का संकेत।
हवाई यात्रियों की संख्या: यात्रा और पर्यटन में वृद्धि से आर्थिक गतिविधियों को बल।

2. बजट 2025-26 से मिलेगी आर्थिक मजबूती

केंद्रीय बजट 2025-26 घरेलू आय और खपत को बढ़ावा देने और राजकोषीय संतुलन बनाए रखने की रणनीति पर केंद्रित है।
पूंजीगत व्यय/GDP अनुपात: 2024-25 में 4.1% से बढ़ाकर 2025-26 में 4.3% किया गया।
बुनियादी ढांचा विकास: सड़कों, रेलवे, और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक निवेश।
ग्रामीण मांग में उछाल: कृषि क्षेत्र में बढ़ी हुई आय और सरकारी योजनाओं का प्रभाव।

3. मुद्रास्फीति में गिरावट से राहत

जनवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.3% पर आ गई, जो पांच महीने का सबसे निचला स्तर है।
सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण आम जनता को राहत।

4. निजी क्षेत्र का निवेश और व्यापारिक वृद्धि

बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत परियोजनाएं: वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
IPO और ECB फंडिंग में वृद्धि: कंपनियां अपने व्यापार के विस्तार के लिए अधिक पूंजी जुटा रही हैं।
निजी कंपनियों की बिक्री और परिचालन लाभ: तीसरी तिमाही में सकारात्मक ग्रोथ देखी गई।

5. ग्रामीण और शहरी मांग में जबरदस्त उछाल

ग्रामीण क्षेत्र: वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में FMCG बिक्री 9.9% बढ़ी, जबकि दूसरी तिमाही में यह 5.7% थी।
शहरी क्षेत्र: शहरी मांग में 5% की वृद्धि, जो पिछली तिमाही में 2.6% थी।

चुनौतियां और वैश्विक प्रभाव

वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से बिक्री दबाव के कारण शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्रभावित हो सकते हैं।

हालांकि, भारत अपनी घरेलू नीतियों, मजबूत उपभोक्ता मांग और सरकारी निवेश योजनाओं के कारण विकास की राह पर बना रहेगा।

RBI की रिपोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के अनुमानों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में सबसे तेज विकास दर दर्ज करेगी। बढ़ती खपत, मजबूत बुनियादी ढांचा, ग्रामीण और शहरी मांग में तेजी और सरकारी नीतियों के प्रभाव से भारत आर्थिक रूप से और अधिक सशक्त बनेगा।

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