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भारत की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार: 10 वर्षों में GDP दोगुनी, IMF रिपोर्ट में खुलासा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताज़ा रिपोर्ट ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक उत्साहजनक तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2015 में 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2025 के अंत तक बढ़कर 4.27 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। यह पिछले 10 वर्षों में GDP में 100 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है, जो दर्शाता है कि भारत लगातार आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर है।

भारत: दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक

आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर 2025 में 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह दर अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी अधिक है। वास्तविक GDP का अर्थ होता है मुद्रास्फीति के प्रभाव को हटाकर मापी गई आर्थिक वृद्धि। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता और ताकत दोनों का संकेत दे रही है।

इस रिपोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। इससे देश के वैश्विक निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ा है और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, क्रय शक्ति में वृद्धि की उम्मीद

भारत में मुद्रास्फीति को लेकर भी अच्छी खबर है। IMF के अनुसार, 2025 में मुद्रास्फीति दर 4.1 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह दर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की लक्षित सीमा 4-6 प्रतिशत के भीतर है।

मुद्रास्फीति का नियंत्रण में रहना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह आम नागरिकों की क्रय शक्ति और जीवन यापन की लागत को प्रभावित करता है। इससे आम लोगों की जेब पर कम बोझ पड़ता है और उनका जीवन स्तर बेहतर होता है।

प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी, जीवन स्तर में सुधार

आईएमएफ ने प्रति व्यक्ति GDP को लेकर भी एक सकारात्मक आंकड़ा प्रस्तुत किया है। प्रति व्यक्ति GDP 11,940 अमेरिकी डॉलर (या 11.94 हजार अंतरराष्ट्रीय डॉलर PPP के तहत) तक पहुंचने की उम्मीद है। यह संकेत करता है कि भारत में लोगों की औसत आय और जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।

यह वृद्धि न केवल आर्थिक विकास का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी समृद्धि का संकेत देती है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं तक लोगों की पहुँच बढ़ेगी।

सरकारी ऋण उच्च लेकिन प्रबंधन बेहतर

हालांकि भारत का सकल सरकारी ऋण GDP का 82.6 प्रतिशत है, फिर भी सरकार अपनी राजकोषीय नीतियों के माध्यम से इस चुनौती का सामना कर रही है।

उच्च सरकारी ऋण कई बार चिंता का विषय बन सकता है, लेकिन IMF की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने राजकोषीय लक्ष्यों को निरंतर हासिल किया है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार अपने आर्थिक प्रबंधन में सक्षम है।

आर्थिक मजबूती का संकेत

IMF की रिपोर्ट भारत की आर्थिक लचीलापन और स्थायित्व को दर्शाती है। GDP में तीव्र वृद्धि, स्थिर मुद्रास्फीति दर, प्रति व्यक्ति आय में सुधार और वित्तीय अनुशासन जैसे तत्व इसे सिद्ध करते हैं। भारत अब वैश्विक आर्थिक मंच पर एक सशक्त भूमिका निभा रहा है।

आम नागरिकों के लिए इसका क्या मतलब है?

इस आर्थिक उछाल का सबसे बड़ा लाभ भारत के आम नागरिकों को होगा:

  • रोजगार के अधिक अवसर बनेंगे।
  • निवेश में वृद्धि से स्टार्टअप और व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।
  • बुनियादी सुविधाओं में सुधार होगा जैसे सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि।
  • महंगाई नियंत्रण में होने से जीवन स्तर बेहतर होगा।

भारत की अर्थव्यवस्था ने बीते दस वर्षों में जो छलांग लगाई है, वह उल्लेखनीय है। IMF की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि भारत अब वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है। अगर यही गति बनी रही तो आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो सकता है।

सरकार की नीतियों, जनभागीदारी और वैश्विक निवेश के बेहतर उपयोग से भारत की आर्थिक प्रगति का यह सफर और भी मजबूत होता जाएगा।

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