वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने द्विपक्षीय निवेश संधियों (BIT) के महत्व पर दिया जोर
“19 फरवरी 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने द्विपक्षीय निवेश संधियों (Bilateral Investment Treaties – BIT) की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि ये संधियां विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने और विदेशी निवेशकों के अनुचित लाभ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।“
वित्त मंत्री ने यह विचार अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक एवं निवेश संधि मध्यस्थता पर आयोजित पहले पीजी सर्टिफिकेट कोर्स के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए।
निवेश संधियों का उद्देश्य और महत्व
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि BIT का उद्देश्य केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करना ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना भी होना चाहिए।
- राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा: उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवेश संधियों को स्वतंत्र रूप से वार्ता करके तय किया जाना चाहिए, न कि किसी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का हिस्सा बनाकर।
- नियामक शक्तियों की रक्षा: BIT को मेजबान देशों की न्यायिक संप्रभुता और उनके न्यायिक निर्णयों का सम्मान करना चाहिए।
- मध्यस्थता में सुधार: मध्यस्थों को निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिससे विकासशील देशों का शोषण न हो।
मध्यस्थता प्रक्रिया में सुधार की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा कि कई मामलों में मध्यस्थों ने मेजबान देश के न्यायिक निर्णयों की अनदेखी की है, जिससे राज्यों को विवादास्पद स्थिति में डाल दिया गया।
- उन्होंने बताया कि कई बार, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों में अदालतों द्वारा दिए गए निर्णयों को निवेश विवादों में मान्यता नहीं दी जाती, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठता है।
- मध्यस्थता का निर्णय ऐसा होना चाहिए, जो कानूनी और नैतिक रूप से सही हो तथा मेजबान देश की संप्रभुता को क्षति न पहुंचाए।
भारत की निवेश नीति और BIT का नया मॉडल
वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब भारत, यूके, सऊदी अरब, कतर और यूरोपीय यूनियन (EU) के साथ BIT को लेकर वार्ता कर रहा है।
- भारत सरकार BIT के मौजूदा मॉडल को फिर से तैयार करने की योजना बना रही है, ताकि यह विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सके।
- बजट 2025-26 में वित्त मंत्री ने BIT के नवीनीकरण की घोषणा की थी, जिससे भारत को अधिक विदेशी निवेश मिलने की उम्मीद है।
BIT से क्या लाभ होंगे?
- विदेशी निवेश को संतुलित करना – यह संधियां विदेशी निवेशकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेंगी, लेकिन मेजबान देश के अधिकारों को भी सुनिश्चित करेंगी।
- राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा – इससे किसी भी देश की नीतियों को प्रभावित किए बिना विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
- न्यायिक पारदर्शिता – विवादों को हल करने के लिए एक पारदर्शी और न्यायसंगत प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में मजबूती – इससे भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य बनाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने द्विपक्षीय निवेश संधियों (BIT) को और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया। उनका मानना है कि ये संधियां विदेशी निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों की रक्षा भी करेंगी। भारत सरकार अब BIT के मौजूदा मॉडल को फिर से तैयार करने पर विचार कर रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायिक संप्रभुता बनी रहे और विदेशी निवेशकों को एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया मिले।