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बजट 2025-26: 12 लाख तक की आय पर नहीं देना होगा टैक्स, मध्यम वर्ग को बड़ी राहत

बजट 2025-26 में सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मध्यम वर्ग के करोड़ों वेतनभोगी नागरिकों को बड़ी राहत दी है। अब सालाना 12 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति को पूंजीगत लाभ जैसी आय को छोड़कर कोई आयकर नहीं देना होगा।

12.75 लाख तक की आय पर भी शून्य टैक्स

इसके अतिरिक्त, ₹75,000 की मानक कटौती को शामिल करने के बाद ₹12.75 लाख सालाना कमाने वाले व्यक्ति भी पूरी तरह टैक्स मुक्त रहेंगे। यह फैसला न सिर्फ करदाताओं के लिए सुविधाजनक है, बल्कि इसे सरकार की मध्यम वर्ग के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक भी माना जा रहा है।

टैक्स प्रणाली का सरलीकरण: फोकस मध्यम वर्ग पर

वेतनभोगी कर्मचारियों को राहत

मानक कटौती एक ऐसी व्यवस्था है जो कर योग्य आय को स्वत: घटा देती है, जिससे कर्मचारियों को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने या अलग-अलग छूटों का दावा करने की ज़रूरत नहीं रहती। यह बदलाव कर अनुपालन को आसान और भरोसेमंद बनाता है।

पहले से भरे हुए आयकर रिटर्न: पारदर्शिता और सरलता

सरकार अब करदाताओं को प्री-फिल्ड आयकर रिटर्न प्रदान कर रही है। इसमें शामिल हैं:

  • वेतन आय
  • बैंक ब्याज
  • लाभांश
  • और अन्य विवरण

यह नई व्यवस्था रिटर्न फाइलिंग को कम समय लेने वाला और त्रुटिरहित बनाती है।

टैक्स अनुपालन में तेजी

2013-14 में जहाँ सिर्फ 3.91 करोड़ रिटर्न फाइल हुए थे, वहीं 2024-25 तक यह संख्या बढ़कर 9.19 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि बताती है कि अधिक नागरिकों को टैक्स फाइल करना आसान और व्यवहारिक लगने लगा है।

फेसलेस ई-असेसमेंट: कर प्रक्रिया में नया युग

2019 में सरकार ने फेसलेस ई-असेसमेंट प्रणाली की शुरुआत की। यह पहल करदाताओं के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया को:

  • डिजिटल
  • गोपनीय
  • और उत्पीड़न-मुक्त बनाती है।

मूल्यांकन प्रक्रिया कैसे होती है?

  • धारा 143(2) के तहत नोटिस जारी होता है
  • करदाता को 15 दिन के भीतर जवाब देना होता है
  • मामला स्वचालित प्रणाली द्वारा मूल्यांकन इकाई को सौंपा जाता है
  • करदाता को यह जानकारी नहीं होती कि कौन उसका मूल्यांकन कर रहा है

यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्षता और गोपनीयता को बढ़ावा देती है।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: बजट सुधार का समर्थन

2013-14 से पहले स्थिति

2004-05 से 2013-14 के बीच औसत मुद्रास्फीति 8.2% रही।

  • खाद्य पदार्थ और ईंधन जैसे जरूरी सामान महंगे हुए
  • घरेलू बजट पर दबाव पड़ा
  • मध्यम वर्ग के लिए बचत करना मुश्किल हो गया

2014 के बाद बदलाव

2015-16 से 2024-25 तक महंगाई की औसत दर गिरकर 5% रह गई।

  • आवश्यक वस्तुएं किफायती बनीं
  • मासिक बजट बनाना आसान हुआ
  • स्थिरता ने आम जनता में आर्थिक भरोसा पैदा किया

बजट 2025-26: मध्यम वर्ग की उम्मीदों पर खरा

इस बजट के जरिए सरकार ने:

  • वेतनभोगी नागरिकों को राहत दी
  • कर अनुपालन को आसान बनाया
  • टैक्स प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया
  • मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा

1 लाख करोड़ का संभावित राजस्व छोड़ना

इस फैसले से सरकार को करीब ₹1 लाख करोड़ के राजस्व का त्याग करना पड़ सकता है, फिर भी यह कदम मध्यम वर्ग के कल्याण को प्राथमिकता देता है।

टैक्स नीति में निष्पक्षता और जवाबदेही

नई टैक्स प्रणाली से:

  • करदाता की निजता सुरक्षित रहती है
  • भ्रष्टाचार की संभावना घटती है
  • डिजिटल ट्रैकिंग से पारदर्शिता बनी रहती है
  • रिटर्न प्रोसेसिंग समय पर होती है

किसे मिलेगा लाभ?

  • 12 लाख तक सालाना आय वालों को पूरी छूट
  • सैलरी क्लास को मानक कटौती का लाभ
  • नए फाइलर को आसान रिटर्न फॉर्म
  • व्यवसायियों के लिए फेसलेस असेसमेंट

निष्कर्ष

बजट 2025-26 में टैक्स छूट के माध्यम से सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी नीति का केंद्र बिंदु जनसामान्य की आर्थिक सुरक्षा और सरल जीवनशैली है। टैक्स प्रणाली में यह सुधार मध्यम वर्ग के विश्वास और भागीदारी को और मजबूत करता है।

अब जब टैक्स प्रणाली सरल, पारदर्शी और निष्पक्ष हो गई है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘ईमानदार करदाता का सम्मान’ अब केवल नारा नहीं, बल्कि एक नीतिगत हकीकत बन चुका है।

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