FY25 की चौथी तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन स्थिर, FY26 में खपत बढ़ने से दिख रही नई संभावनाएं
“बैंक ऑफ बड़ौदा की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1,893 कंपनियों की वित्तीय समीक्षा दर्शाती है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कॉर्पोरेट प्रदर्शन संतुलित रहा। कुल मिलाकर बिक्री और लाभ में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चुनिंदा क्षेत्रों में नरमी भी देखी गई।“
शुद्ध बिक्री और लाभ दोनों में बढ़ोतरी दर्ज
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट बताती है कि:
- कुल शुद्ध बिक्री में 5.4% की वृद्धि हुई
- शुद्ध लाभ (PAT) में 7.6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई
इन आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और उच्च आधार प्रभाव के बावजूद भारतीय कंपनियों ने अपेक्षाकृत स्थिर प्रदर्शन किया है।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में किन सेक्टर्स ने दिखाया बेहतर प्रदर्शन?
रिपोर्ट के अनुसार, 24 सेक्टर्स ने शुद्ध बिक्री में औसत 5.4% से अधिक वृद्धि दर्ज की। वहीं, 16 सेक्टर्स ने शुद्ध लाभ में औसत 7.6% से अधिक प्रदर्शन किया।
यह इंगित करता है कि कई उद्योग अब भी विकास की स्थिर राह पर हैं, भले ही कुछ क्षेत्रों में हल्की गिरावट देखी गई हो।
इंफ्रास्ट्रक्चर, एफएमसीजी और सेवाओं में स्थिर ग्रोथ
अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता के अनुसार:
“एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में मजबूत ग्रामीण मांग और मौसमी कारकों की वजह से सुधार जारी है।
इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भी, नकारात्मक आधार प्रभाव के बावजूद, स्थिर वृद्धि बनी हुई है।”
सेवा क्षेत्र में निरंतर मांग ने इन व्यवसायों को आगे बढ़ाने में मदद की है।
वैश्विक मंदी के बीच भी भारतीय कंपनियों में भरोसा कायम
चुनौतीपूर्ण वैश्विक व्यापार वातावरण के बावजूद भारतीय कंपनियाँ आशावादी बनी हुई हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि स्थिर कमोडिटी कीमतें, कम मुद्रास्फीति, अनुकूल मानसून और सरकारी पूंजीगत व्यय जैसे कारकों से कंपनियों को लाभ मिल सकता है।
कम लागत ने लाभ में इजाफा किया
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में:
- व्यय और ब्याज लागत में गिरावट देखी गई
- इससे कंपनियों की ऋण चुकाने की क्षमता में सुधार हुआ
- यह कारक लाभ और नकदी प्रवाह को सकारात्मक दिशा में ले गया
इससे यह भी संकेत मिलता है कि कंपनियाँ पूंजीगत अनुशासन बनाए हुए हैं।
कुछ सेक्टरों में दिखी कमजोरी, लेकिन यह अस्थायी
- ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल और आयरन एंड स्टील जैसे क्षेत्रों में मांग में कमी देखी गई
- बीएफएसआई सेक्टर में भी कुछ मंदी देखी गई, जिसे क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट से जोड़ा गया है
- रिपोर्ट का मानना है कि यह बदलाव अस्थायी हो सकता है और यह “एक बार की घटना” हो सकती है
FY26 में खपत बढ़ने से कॉर्पोरेट ग्रोथ को मिलेगी नई रफ्तार
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में कहा गया है कि FY26 (वित्त वर्ष 2026) में:
- ग्रामीण और शहरी खपत में तेजी की उम्मीद
- नीतिगत समर्थन, व्यापार सौदे और सरकार की व्यय नीतियां कंपनियों को आगे बढ़ाएंगी
- कम महंगाई और अनुकूल मानसून जैसे मैक्रो फैक्टर्स भी मदद करेंगे
इस सबके चलते भारतीय कॉर्पोरेट जगत की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ ट्रेंड सकारात्मक दिखाई दे रही है।
सालाना तुलना: पिछले वर्ष की उच्च वृद्धि की पृष्ठभूमि में स्थिर प्रदर्शन
FY24 की चौथी तिमाही में:
- ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 20.7%
- नेट प्रॉफिट में 14.3% की उछाल देखी गई थी
इस उच्च आधार के बाद भी FY25 की समान तिमाही में:
- ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 8.2%
- नेट प्रॉफिट में 7.6% की वृद्धि बनी रही
यह दर्शाता है कि कंपनियां संतुलित और स्थिर वृद्धि के मार्ग पर बनी हुई हैं।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कॉर्पोरेट प्रदर्शन स्थिर और उत्साहजनक रहा है। सेवा, उपभोक्ता और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र ने मजबूती दिखाई, जबकि चुनिंदा उद्योगों में नरमी अस्थायी रही। भविष्य में FY26 में खपत और मांग में बढ़ोतरी के कारण कंपनियों के प्रदर्शन में और सुधार आने की उम्मीद है।