क्रिसिल रिपोर्ट: वैश्विक अनिश्चितता के दौरान सोने को मुख्य मुद्रास्फीति से बाहर रखने की सिफारिश
“क्रिसिल की हाल ही में जारी रिपोर्ट ने मुख्य मुद्रास्फीति सूचकांक पर सोने की कीमतों के प्रभाव पर विचार करते हुए सुझाव दिया है कि सोने को मुख्य मुद्रास्फीति से बाहर रखा जाए, विशेष रूप से जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति होती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे फूड और फ्यूल की श्रेणियों को मुद्रास्फीति माप से बाहर रखा जाता है, वैसे ही सोने को भी वैश्विक कारकों द्वारा प्रभावित होने के कारण विश्लेषण से बाहर रखा जा सकता है।“
सोने की मुद्रास्फीति का प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, सोने की मुद्रास्फीति में 2025 के दौरान 15.1 प्रतिशत से 24.7 प्रतिशत तक का बढ़ोतरी देखी गई, जबकि अन्य श्रेणियों में 2.4 प्रतिशत की मामूली मुद्रास्फीति देखी गई। मई 2025 को समाप्त होने वाले 12 महीनों में, सोने की मुद्रास्फीति ने मुख्य मुद्रास्फीति में 17 प्रतिशत की वृद्धि का योगदान दिया, हालांकि सोने का मुख्य मुद्रास्फीति सूचकांक में केवल 2.3 प्रतिशत ही हिस्सा है।
इसका मुख्य कारण यह है कि सोने की कीमतें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से प्रभावित होती हैं, जैसे वैश्विक मंदी, धातु की कीमतों में उछाल और सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की बढ़ती मांग। इसलिए, सोने को मुख्य मुद्रास्फीति से बाहर रखना मूल्य संकेतों को और अधिक वास्तविक बनाने का एक उपाय हो सकता है।
कोर सीपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि
रिपोर्ट में पाया गया कि मई 2024 से मई 2025 तक कोर सीपीआई मुद्रास्फीति में 111 बीपीएस की वृद्धि हुई, जो 4.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस वृद्धि में प्रमुख योगदान उन श्रेणियों का था जिनमें मोबाइल टैरिफ, प्रसाधन सामग्री, चांदी और सोना शामिल हैं। इन श्रेणियों में से सोने की मुद्रास्फीति में सबसे तेज़ वृद्धि देखी गई, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण हुई।
सोने के प्रभाव को विश्लेषण से बाहर रखना
क्रिसिल ने यह तर्क दिया कि सोने की मुद्रास्फीति को मुख्य मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर रखने से अधिक सटीक और विश्वसनीय घरेलू मांग के दबाव का आकलन किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर सोने की कीमतें अपने सामान्य रुझान के अनुसार बढ़ने की बजाय वैश्विक कारकों से प्रभावित नहीं होतीं, तो मई 2025 में मुख्य मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत के बजाए 3.4 प्रतिशत होती।
वैश्विक संदर्भ में सोने की मुद्रास्फीति
हालांकि अन्य देशों में प्रमुख केंद्रीय बैंक भी अपने मुख्य मुद्रास्फीति सूचकांक में सोने को शामिल करते हैं, लेकिन भारत के मुकाबले उनका इसका भार काफी कम होता है, जिससे उनके मुख्य मुद्रास्फीति माप पर इसका प्रभाव सीमित रहता है। इस प्रकार, भारत में सोने की मुद्रास्फीति का असर कहीं ज्यादा गहरा हो सकता है, और इसे मुख्य मुद्रास्फीति माप से बाहर रखना सही हो सकता है।
रिपोर्ट में दी गई मुख्य सिफारिशें:
- सोने को मुख्य मुद्रास्फीति से बाहर रखना: वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते सोने की कीमतों को मुख्य मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर रखने से घरेलू मांग के दबाव का अधिक सटीक मूल्यांकन हो सकेगा।
- सोने की कीमतों के प्रभाव को समझना: रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सोने की कीमतों में बढ़ोतरी आमतौर पर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान होती है, और इसका प्रभाव स्थानीय मूल्य संकेतों पर पड़ता है।
- मुद्रास्फीति की वास्तविक स्थिति को समझना: बिना सोने को शामिल किए, मुद्रास्फीति के वास्तविक आंकड़े घरेलू मांग को सही ढंग से परिलक्षित करेंगे।
क्रिसिल की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सोने की मुद्रास्फीति वैश्विक आर्थिक कारकों से प्रभावित होती है और इसे मुख्य मुद्रास्फीति सूचकांक से बाहर रखा जाना चाहिए ताकि घरेलू मूल्य संकेत वास्तविक रूप से समझे जा सकें। रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों से भारत के केंद्रीय बैंकों को भी मुख्य मुद्रास्फीति का सही आकलन करने में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक नीति निर्धारण में सुधार हो सकता है।