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दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, शिक्षा और सरकारी लाभ की मांग पर मांगी गई पूरी जानकारी

दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों के अधिकारों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस याचिका में शरणार्थियों के बच्चों को स्कूलों में दाखिला, अस्पतालों में इलाज और अन्य सरकारी सुविधाएं देने की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से दिल्ली में रह रहे सभी रोहिंग्या शरणार्थियों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

कोर्ट ने मांगी शरणार्थियों के पते और आवास प्रमाणपत्र की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर यह जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है:
✔️ रोहिंग्या शरणार्थियों के रहने की जगह
✔️ उनके आवास का प्रमाणपत्र
✔️ उनकी मौजूदा स्थिति और जीवनयापन के साधन

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा:
“हमारा भी मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। लेकिन हम यह जानकारी इसलिए मांग रहे हैं ताकि जान सकें कि ये शरणार्थी कहां रह रहे हैं और उनकी स्थिति क्या है। जब हमारे सामने पूरी जानकारी होगी, तब हम प्रभावी तरीके से उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने पर विचार कर सकते हैं।”

याचिकाकर्ता ने शरणार्थियों को बुनियादी सुविधाएं देने की मांग की

यह याचिका “रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव” नाम की संस्था द्वारा दायर की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के पास संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) का पहचान पत्र है, फिर भी उन्हें शिक्षा और अन्य आवश्यक सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।

🔹 इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि शिक्षा के मामले में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

शरणार्थियों के अधिकार और सुप्रीम कोर्ट का रुख

संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत “जीने का अधिकार” सभी को समान रूप से उपलब्ध है, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या शरणार्थी।
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी शरणार्थियों को बुनियादी सुविधाएं देने की जरूरत पर जोर दे चुका है।
✅ सरकार ने भी कहा है कि किसी भी विदेशी शरणार्थी को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।

रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा और भारत का रुख

🔹 कौन हैं रोहिंग्या शरणार्थी?
रोहिंग्या एक अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है, जिसे म्यांमार की सरकार नागरिकता प्रदान नहीं करती। म्यांमार में हुए हिंसक दंगों और मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण हजारों रोहिंग्या 2012 और 2017 में भारत समेत अन्य देशों में शरण लेने आए थे।

🔹 भारत में कितने रोहिंग्या शरणार्थी हैं?
✔️ संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के अनुसार, भारत में लगभग 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं।
✔️ इनमें से 10,000 से अधिक दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में बसे हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रोहिंग्या शरणार्थियों की उम्मीदें बढ़ीं

इस सुनवाई के बाद, रोहिंग्या शरणार्थियों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

अब आगे क्या होगा?
✔️ याचिकाकर्ता को 10 दिनों के भीतर सभी शरणार्थियों की जानकारी अदालत को देनी होगी।
✔️ कोर्ट इस डेटा के आधार पर आगे की कार्यवाही करेगी और देखेगी कि इन शरणार्थियों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जा सकता है।

🔹 यह फैसला न केवल दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बल्कि पूरे देश में मौजूद अन्य शरणार्थियों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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