आपदा रोधी अवसंरचना पर वैश्विक सम्मेलन में पीएम मोदी का संदेश: तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा सर्वोपरि
“डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (Disaster Resilient Infrastructure) के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों, विशेषकर तटीय इलाकों, के लिए सशक्त अवसंरचना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया।“
प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ता प्रभाव: तटीय क्षेत्रों पर सबसे बड़ा खतरा
हाल की वैश्विक आपदाएं और उनका प्रभाव
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में दुनिया भर में आए हालिया चक्रवातों का उल्लेख किया:
- भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल
- अमेरिका में हैरिकेन हेलेन
- दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी
- कैरेबियाई क्षेत्र में हैरिकेन बेरिल
- फिलीपींस में टाइफून उसागी
- अफ्रीका के हिस्सों में साइक्लोन चिडो
इन आपदाओं ने जन-जीवन और आर्थिक संरचना को गहरे स्तर पर प्रभावित किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।
भारत की पहल: आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका
सुनामी चेतावनी प्रणाली और चक्रवात आश्रयों का निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी ने 1999 के सुपर साइक्लोन और 2004 की सुनामी को याद करते हुए बताया कि भारत ने इन त्रासदियों से सीख लेकर तटीय राज्यों में चक्रवात शरणस्थलों का निर्माण शुरू किया। इसके साथ ही, भारत ने 29 देशों के लिए सुनामी चेतावनी प्रणाली का निर्माण भी किया, जो आज भी प्रभावी रूप से कार्य कर रही है।
CDRI की वैश्विक भूमिका और भारत का नेतृत्व
छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के लिए विशेष प्रयास
डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर गठबंधन (CDRI) आज 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस सहयोग के तहत:
- मजबूत घरों का निर्माण
- आपदा-रोधी अस्पताल और स्कूल
- ऊर्जा एवं जल सुरक्षा व्यवस्था
- बेहतर चेतावनी तंत्र का विकास किया जा रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस गठबंधन का उद्देश्य है – आपदाओं से पहले तैयार रहना, ताकि जान-माल की हानि को न्यूनतम किया जा सके।
भविष्य के लिए कुशल कार्यबल और शिक्षा में बदलाव आवश्यक
आपदा प्रबंधन शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट का महत्व
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में आपदा प्रबंधन से जुड़े कोर्स, मॉड्यूल और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाना चाहिए। इससे युवाओं को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील और तकनीकी रूप से तैयार बनाया जा सकता है।
वैश्विक डिजिटल ज्ञानकोष की परिकल्पना
अनुभवों और सफल उदाहरणों की साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने एक वैश्विक डिजिटल रिपॉजिटरी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म में:
- विभिन्न देशों की आपदा पुनर्निर्माण योजनाएं
- सफल परियोजनाएं
- बेहतर प्रथाएं और मॉडल्स साझा किए जा सकते हैं
इससे सभी देश एक-दूसरे से सीख सकते हैं और आपदा प्रबंधन में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
वित्तीय सहयोग और नवाचार की ज़रूरत
विकासशील देशों को आर्थिक सहायता की प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए फाइनेंस आधारित नवाचार मॉडल की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि:
- विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन सुलभ होने चाहिए
- निवेश का प्रवाह आसान और पारदर्शी हो
- स्थानीय निकायों को सशक्त किया जाए
समापन संदेश: चेतावनी तंत्र और समन्वय में सुधार अनिवार्य
समय पर कार्रवाई से बचाई जा सकती है जान और संपत्ति
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपसी समन्वय मजबूत हों तो आपदा के समय:
- निर्णय तेजी से लिए जा सकते हैं
- सूचना अंतिम छोर तक समय पर पहुंच सकती है
- नुकसान की आशंका कम की जा सकती है
उन्होंने सभी देशों से आपसी सहयोग और जानकारी साझा करने की अपील की।