NationalNews

आज दिखेगा अद्भुत ‘अर्थशाइन’ वाला चांद, जानें क्यों चमकता है इसका अंधेरा भाग

आज का दिन खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए बेहद खास है। जब सूर्य अस्त हो जाएगा और आकाश में चंद्रमा नजर आएगा, तो वह केवल एक हंसियाकार नहीं दिखेगा, बल्कि उसका बाकी का अंधेरा भाग भी हल्की रोशनी के साथ चमकता नजर आएगा। इस अद्भुत खगोलीय घटना को अर्थशाइन कहा जाता है।

क्या है अर्थशाइन खगोलीय घटना?

अर्थशाइन खगोलीय घटना तब घटती है जब चंद्रमा का केवल एक हिस्सा सूरज की सीधी रोशनी से प्रकाशित होता है, लेकिन उसका शेष हिस्सा भी पृथ्वी से परावर्तित प्रकाश के कारण हल्की चमक के साथ नजर आता है। इसे अंग्रेज़ी में Earthshine कहा जाता है।

इस घटना को बिना किसी दूरबीन या यंत्र की मदद से केवल आँखों से भी देखा जा सकता है। यह दृश्य चंद्रमा के उगने के बाद लगभग रात 9:30 बजे तक नजर आएगा। इसके बाद चंद्रमा अस्त हो जाएगा।

कब और कैसे दिखाई देता है अर्थशाइन?

यह घटना वर्ष में दो बार होती है। जब चंद्रमा आंशिक रूप से प्रकाशित होता है और धरती से सूर्य का परावर्तित प्रकाश उसके अंधेरे हिस्से को भी हल्का चमकदार बना देता है, तब यह अर्थशाइन खगोलीय घटना देखी जा सकती है।

आज की रात, यानी अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर, यह घटना खास रूप से देखने लायक होगी। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को अत्यंत शुभ माना जाता है, और आज के दिन इस खगोलीय दृश्य का साक्षी बनना एक और सौभाग्य की बात है।

चंद्रमा की दूरी और प्रकाशित भाग

विज्ञान प्रसारक सारिका घारू के अनुसार, इस समय चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3,63,897 किलोमीटर की दूरी पर होगा। चंद्रमा का केवल 9.9 प्रतिशत हिस्सा ही प्रत्यक्ष रूप से प्रकाशित होगा, लेकिन अर्थशाइन के कारण उसका बाकी हिस्सा भी हल्की रोशनी के साथ दिखाई देगा।

इस घटना का वैज्ञानिक कारण क्या है?

जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पड़ती है, तो पृथ्वी उस प्रकाश का लगभग 30 प्रतिशत भाग वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करती है। यह परावर्तित प्रकाश जब चंद्रमा की सतह पर पहुँचता है, तो उसके अंधेरे हिस्से को भी रोशन कर देता है।

वहीं, चंद्रमा खुद सूर्य की रोशनी का केवल 12 प्रतिशत ही परावर्तित करता है, इसलिए उसका अंधेरा हिस्सा सामान्यतः नहीं दिखता। लेकिन आज की रात, पृथ्वी से लौटे प्रकाश की वजह से हम चंद्रमा को पूरे आकार में देख पाएंगे।

अर्थशाइन को ‘दा विंची ग्लो’ क्यों कहा जाता है?

अर्थशाइन को ‘दा विंची ग्लो’ भी कहा जाता है, क्योंकि महान वैज्ञानिक और कलाकार लियोनार्डो दा विंची ने पहली बार 1510 के आस-पास इस घटना की कल्पना की थी और इसका स्केच तैयार किया था।

उन्होंने यह भी बताया था कि चंद्रमा की हल्की चमक पृथ्वी से लौटे प्रकाश की वजह से ही होती है। आज विज्ञान इसे एक सिद्ध और प्रमाणित घटना मानता है।

अर्थशाइन देखने का सही समय और दिशा

  • दिशा: पश्चिम दिशा
  • समय: सूर्यास्त के बाद से रात लगभग 9:30 बजे तक
  • स्थान: खुले आकाश में जहाँ प्रदूषण और कृत्रिम रोशनी कम हो

इस अनुभव को और भी खास बनाने के लिए कोशिश करें कि आप किसी ऊँचे और खुले स्थान पर जाएँ जहाँ आकाश स्पष्ट दिखाई देता हो।

क्या आपको किसी उपकरण की जरूरत है?

इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखने के लिए किसी दूरबीन या खास उपकरण की आवश्यकता नहीं है। आप इसे अपनी सामान्य दृष्टि से भी देख सकते हैं। बस आसमान साफ़ हो और आप सही दिशा में ध्यान दें।


अर्थशाइन घटना: क्यों है यह खगोल प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण?

  1. शिक्षाप्रद अवसर: यह घटना विज्ञान में रुचि रखने वालों और छात्रों के लिए एक अद्भुत उदाहरण है, जो चंद्रमा और पृथ्वी के संबंध को समझने में मदद करता है।
  2. दृश्य अनुभव: यह दृश्य मन को मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे पृथ्वी भी चंद्रमा को रोशन कर सकती है।
  3. धार्मिक अवसर से जुड़ाव: अक्षय तृतीया जैसे पर्व पर आकाश में ऐसी दुर्लभ घटना होना इसे और भी पावन बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *