Nationalहैल्थ

गिलोय पर नवीनतम वैज्ञानिक शोध: कैंसर और इम्यूनिटी में संभावित लाभ

गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) पर वैज्ञानिक शोध तेजी से बढ़ रहे हैं और हाल ही में इसके औषधीय गुणों को लेकर कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए हैं। 2025 में प्रकाशित दो प्रमुख अध्ययनों ने गिलोय की प्रभावशीलता को उजागर किया है, जो इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ जोड़ने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

गिलोय और सर्वाइकल कैंसर: नवीनतम शोध

फरवरी 2025 में यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइंसेज, गुजरात यूनिवर्सिटी की हर्षा वाघासिया और उनकी टीम ने एचपीवी-पॉजिटिव सर्वाइकल कैंसर के उपचार में गिलोय के अर्क की भूमिका का विश्लेषण किया। यह अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डेटाबेस पबमेड में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन के अनुसार, गिलोय में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले) गुण पाए गए हैं, जो कैंसर के पारंपरिक उपचारों के साथ मिलकर अधिक प्रभावी और सुरक्षित उपचार प्रदान कर सकते हैं। इस शोध से संकेत मिलता है कि गिलोय भविष्य में कैंसर उपचार का एक महत्वपूर्ण सहायक घटक बन सकता है।

गिलोय और स्तन विकार: एक सुरक्षित विकल्प

जनवरी 2025 में टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई की शोधकर्ता अंकिता दास शेठ और उनकी टीम ने इडियोपैथिक ग्रैनुलोमेटस मैस्टाइटिस (IGM) पर अध्ययन किया। यह एक कम घातक लेकिन जटिल स्तन विकार है, जिसे कई बार कैंसर समझ लिया जाता है।

अध्ययन में पाया गया कि गिलोय-आधारित फाइटोफार्मास्युटिकल दवाएं स्टेरॉयड-मुक्त सुरक्षित उपचार का एक प्रभावी विकल्प हो सकती हैं। इससे आक्रामक सर्जरी की आवश्यकता कम हो सकती है, जिससे यह उपचार अधिक किफायती और कुशल बनता है।

आयुष मंत्रालय की पहल: वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा

गिलोय में बढ़ती वैज्ञानिक रुचि को ध्यान में रखते हुए, आयुष मंत्रालय ने इस जड़ी-बूटी पर एक तकनीकी डोजियर जारी किया है। इस डोजियर में गिलोय के चिकित्सीय अनुप्रयोगों और वैज्ञानिक निष्कर्षों को संकलित किया गया है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह पहल पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों और आम जनता को जागरूक करना और भारत को समग्र स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाना है।

गिलोय: भविष्य का आयुर्वेदिक समाधान

गिलोय पर वैज्ञानिक अनुसंधान जारी हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि यह जड़ी-बूटी आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक मुख्यधारा समाधान बन सकती है। प्राकृतिक उपचारों की ओर दुनिया का झुकाव बढ़ रहा है, और ऐसे में भारत का सदियों पुराना हर्बल ज्ञान कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *