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ग्लोबल साउथ पर्यावरणीय नुकसान का प्रमुख जिम्मेदार नहीं: केंद्रीय मंत्री का बयान

केंद्रीय मंत्री ने एक हालिया सम्मेलन में कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान के लिए ग्लोबल साउथ (विकासशील देश) को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों के ऐतिहासिक उत्सर्जन और गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाया है।

विकसित देशों की ऐतिहासिक जिम्मेदारी

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि औद्योगिक क्रांति के समय से ही विकसित देशों ने भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन किया है। इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न हुई, जिसका सबसे बड़ा खामियाजा विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है।

ग्लोबल साउथ पर प्रभाव

उन्होंने जोर देकर कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों का योगदान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अपेक्षाकृत कम है। इसके बावजूद इन देशों को जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ता है, जैसे बाढ़, सूखा और अनियमित मौसम।

टिकाऊ विकास की वकालत

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ के देश पर्यावरण की सुरक्षा और टिकाऊ विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने विकासशील देशों द्वारा उठाए गए पर्यावरणीय कदमों की प्रशंसा की और कहा कि विकसित देशों को भी अपने दायित्व निभाने चाहिए

जलवायु वित्त की मांग

केंद्रीय मंत्री ने विकसित देशों से जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस) और तकनीकी सहयोग प्रदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को उनके प्रयासों में समर्थन देना जरूरी है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपट सकें।

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