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भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) की महत्वपूर्ण खोज: A980 तारे में जर्मेनियम की उपस्थिति

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण और आश्चर्यजनक खगोलभौतिकीय खोज की है। इस खोज में A980 नामक एक तारे में जर्मेनियम तत्व का पता लगाया गया है, जो कि इस प्रकार के तारे में पहले कभी नहीं देखा गया था। यह खोज तारकीय रसायन विज्ञान के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाती है और तारों की संरचना के बारे में नई जानकारी प्रदान करती है।

A980 तारा: एक ब्रह्मांडीय मोड़

A980, जो कि ओफ़िचस तारामंडल में स्थित है और 25800 प्रकाश वर्ष दूर है, इस नई खोज के केंद्र में है। प्रारंभ में, A980 को हाइड्रोजन-कमी वाला कार्बन तारा माना गया था, जो एक ठंडे तारे का उदाहरण था, जिसमें हाइड्रोजन का अभाव होता है। लेकिन जब भारतीय वैज्ञानिकों ने हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए हनले एचेल स्पेक्ट्रोग्राफ से इस तारे का अध्ययन किया, तो उन्होंने पाया कि इसका स्पेक्ट्रम उनकी अपेक्षाओं से मेल नहीं खाता था।

इस खोज के बाद, वैज्ञानिकों ने पाया कि A980 में जर्मेनियम की मात्रा सूर्य की तुलना में आठ गुना अधिक है। यह एक नया और अप्रत्याशित कदम था, क्योंकि EHe तारे (एक्सट्रीम हीलियम सितारे) में जर्मेनियम पहले कभी नहीं देखा गया था। यह जर्मेनियम के संश्लेषण का स्पष्ट प्रमाण है, जो तारकीय रसायन विज्ञान में एक बड़ी खोज मानी जाती है।

ब्रह्मोस के उपयोग से तारों के विकास की नई समझ

डॉ. गजेंद्र पांडे, जिन्होंने इस अध्ययन में सह-लेखक के रूप में भाग लिया, ने कहा, “यह खोज तारकीय रसायन विज्ञान के बारे में हमारी जानकारी की सीमाओं को आगे बढ़ाती है। यह दिखाता है कि उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग किस तरह तारों की रोशनी में छिपी कहानियों को उजागर करने में सहायक हो सकता है।”

यह खगोल भौतिकी में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि यह इस बात का संकेत देता है कि तारे न्यूट्रॉन को पकड़ने वाली प्रक्रियाओं के दौरान भारी तत्वों का निर्माण करते हैं, जैसे कि एस-प्रक्रिया, जो तारों की सफेद बौनों के विलय के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकती है।

भारतीय खगोलविदों का योगदान

भारत के खगोलविदों ने A980 तारे के स्पेक्ट्रम का विश्लेषण किया और पाया कि सिंगल-आयनाइज्ड जर्मेनियम (Ge II) रेखाएं पहले कभी नहीं देखी गई थीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि जर्मेनियम जैसे भारी तत्व उन तारे में उत्पन्न होते हैं जो अपने अंतिम चरणों में होते हैं और सफेद बौनों के रूप में विकसित होते हैं। इस खोज ने यह भी संकेत दिया कि EHe तारे में जर्मेनियम के संदर्भ में नई जागरूकता पैदा हो सकती है।

तारों के विलय की भूमिका

अध्ययन में प्रस्तावित किया गया है कि A980 तारा शायद एक हीलियम श्वेत वामन और एक कार्बन-ऑक्सीजन श्वेत वामन के बीच के विलय का परिणाम हो सकता है, जो इस तरह के विस्फोटक ब्रह्मांडीय घटनाओं के कारण जर्मेनियम जैसे तत्वों का निर्माण करता है। यह सिद्धांत अब तक के कुछ सबसे दिलचस्प ब्रह्मांडीय घटनाओं के बारे में नई जानकारी प्रदान करता है।

वैज्ञानिकों के लिए नई पहेली

इस खोज से वैज्ञानिकों को एक नई पहेली सुलझाने का अवसर मिला है, जो तारों के विलय और उनके द्वारा उत्पन्न होने वाले भारी तत्वों के बारे में हमारी समझ को और भी गहरा कर सकती है। जर्मेनियम की पहचान से तारकीय विकास और सफेद बौनों के विलय के बारे में नई जानकारी मिल सकती है, जिससे ब्रह्मांडीय तत्वों के निर्माण की प्रक्रिया को और बेहतर समझा जा सके।

आईआईए के वैज्ञानिकों द्वारा की गई यह खोज खगोल भौतिकी में एक नई दिशा को जन्म देती है। A980 तारे में जर्मेनियम का पाया जाना तारों के विकास के बारे में हमारे ज्ञान में एक नई खुली खिड़की है। यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड में भारी तत्वों का निर्माण किस प्रकार होता है, और इससे हमें ब्रह्मांडीय घटनाओं को समझने में मदद मिल सकती है।

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