भारत और अफ्रीकी देशों का साझा नौसैनिक अभ्यास ‘ऐक्यमेय’ तंजानिया में शुरू
“भारत और अफ्रीकी देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘ऐक्यमेय’ नामक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का आयोजन 13 से 18 अप्रैल 2025 के बीच तंजानिया के दार-ए-सलाम में किया जा रहा है। संस्कृत शब्द ‘ऐक्यमेय’ का अर्थ होता है – एकता और सहयोग।“
भाग लेने वाले देश और उद्देश्य
इस नौसैनिक अभ्यास में कोमोरस, जिबूती, एरिट्रिया, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स और दक्षिण अफ्रीका जैसे अफ्रीकी देश हिस्सा ले रहे हैं। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य है:
- समुद्री डकैती और अवैध गतिविधियों की रोकथाम।
- नौसेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाना।
- साझा समुद्री चुनौतियों से निपटना।
हार्बर फेज की शुरुआत: सैन्य अभ्यास और सांस्कृतिक संवाद
अभ्यास की शुरुआत हार्बर फेज से हुई जिसमें:
- सीमैनशिप प्रशिक्षण,
- विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सीजर (VBSS) अभ्यास,
- एंटी-पायरेसी ऑपरेशन,
- कमांड पोस्ट अभ्यास, और
- सूचना साझा करने पर टेबल टॉप चर्चा शामिल हैं।
सैनिकों के लिए खेल प्रतियोगिताएं, योग सत्र, और स्थानीय जनता से संवाद के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
आईएनएस चेन्नई और आईएनएस केसरी ने बढ़ाया भारत का गौरव
भारतीय नौसेना के आईएनएस चेन्नई और आईएनएस केसरी युद्धपोत दार-ए-सलाम बंदरगाह पर पहुँचे। आईएनएस चेन्नई पर एक भव्य गार्ड ऑफ ऑनर का आयोजन हुआ, जिसमें तंजानियाई और भारतीय राष्ट्रगान बजाए गए।
भारतीय जहाजों को स्थानीय नागरिकों के लिए भी खोला गया ताकि वे भारत की नौसैनिक क्षमताओं को करीब से जान सकें।
उद्घाटन समारोह और राजनीतिक सहभागिता
‘ऐक्यमेय’ अभ्यास का उद्घाटन हार्बर फेज में हुआ जिसमें:
- रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और
- तंजानिया के रक्षा मंत्री मुख्य अतिथि रहे।
इस अवसर पर आधिकारिक डेक स्वागत समारोह का आयोजन भी हुआ।
भारत-अफ्रीका संबंधों में नई ऊर्जा
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ पहले ही तंजानिया पहुँच चुके थे। उन्होंने भारत के उच्चायुक्त बिश्वदीप डे और तंजानिया के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉ. इमैनुएल नचिंबी से मुलाकात की।
यह दौरा भारत और अफ्रीकी देशों के बीच सैन्य, कूटनीतिक और सामरिक सहयोग को गहरा करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
अभ्यास का रणनीतिक महत्व
भारतीय नौसेना द्वारा शुरू की गई यह पहल:
- मित्र देशों की नौसेनाओं के बीच संयुक्त संचालन की क्षमता को सुदृढ़ करती है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में साझा सुरक्षा दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
- भारत की एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में भूमिका को मजबूत करती है।