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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 696.66 अरब डॉलर तक पहुंचा, आर्थिक स्थिरता में सहायक

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 जून को समाप्त सप्ताह में 5.17 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ अब 696.66 अरब डॉलर हो गया है। यह आंकड़ा सितंबर 2024 के रिकॉर्ड 704.88 अरब डॉलर के बेहद करीब है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों में बताया कि यह बढ़त देश की मुद्रा स्थिरता और विदेशी लेन-देन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि – प्रमुख घटक और योगदान

RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार के चार प्रमुख घटकों में इस सप्ताह सभी में वृद्धि दर्ज की गई।

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets – FCA)

  • 3.47 अरब डॉलर की बढ़त
  • कुल मूल्य: 587.69 अरब डॉलर
  • इसमें डॉलर, यूरो, येन और पाउंड शामिल
  • इन परिसंपत्तियों का मूल्य विनिमय दरों से प्रभावित होता है

सोने का भंडार (Gold Reserves)

  • 1.6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी
  • कुल मूल्य: 85.89 अरब डॉलर
  • 2021 की तुलना में लगभग दोगुना
  • वैश्विक अस्थिरता के बीच सोना एक सुरक्षित निवेश बना हुआ है

विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR)

  • वृद्धि: 102 मिलियन डॉलर
  • कुल मूल्य: 18.67 अरब डॉलर
  • SDR की गणना IMF की मुद्रा टोकरी के आधार पर होती है

IMF में भारत की आरक्षित स्थिति

  • वृद्धि: 14 मिलियन डॉलर
  • अब कुल: 4.4 अरब डॉलर
  • यह आरक्षित राशि IMF में भारत की भागीदारी का प्रतीक है

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार – वैश्विक आर्थिक जोखिमों के खिलाफ ढाल

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने तक के आयात और करीब 96% बाह्य ऋण को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

भंडार क्यों है महत्वपूर्ण?

  • वैश्विक अस्थिरता के समय डॉलर बेचकर रुपये को स्थिर रखने में मदद
  • आयात खर्च को पूरा करने के लिए मुद्रा की सुरक्षा
  • विदेशी निवेशकों को भरोसा और स्थिरता का संकेत
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की बाहरी लचीलापन मजबूत होता है

रुपये की स्थिरता में विदेशी मुद्रा भंडार की भूमिका

जब भी वैश्विक बाजारों में डॉलर की मांग बढ़ती है, RBI भंडार से डॉलर बेचकर रुपये को गिरने से बचाता है। इससे:

  • आयात की लागत नियंत्रित रहती है
  • महंगाई पर प्रभाव कम पड़ता है
  • विदेशी निवेशक भरोसा बनाए रखते हैं

भारत का बाह्य क्षेत्र – सुधार की ओर

RBI गवर्नर के अनुसार:

“भारत का बाह्य क्षेत्र एक मजबूत स्थिति में है और इसमें लगातार सुधार देखा जा रहा है। सभी विदेशी दायित्वों को पूरा करने की क्षमता भारत के पास है।”

इसका अर्थ है कि भारत बाहरी ऋण, व्यापार घाटा और विनिमय दर जोखिमों से निपटने के लिए तैयार है।

पिछली अवधि से तुलना – मई और जून में क्या हुआ?

  • 30 मई को समाप्त सप्ताह: भंडार था 691.5 अरब डॉलर
  • 6 जून को समाप्त सप्ताह: वृद्धि के बाद भंडार हुआ 696.66 अरब डॉलर

इसका अर्थ है कि महज़ एक सप्ताह में 5.17 अरब डॉलर की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।

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