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भारत-मलेशिया सुरक्षा वार्ता: आतंकवाद और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर बनी सहमति

“भारत और मलेशिया के बीच पहली आधिकारिक सुरक्षा वार्ता का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरपंथ और साइबर सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्प लिया। इस वार्ता की सह-अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और मलेशिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महानिदेशक राजा दातो नुशीरवान बिन जैनल आबिदीन ने की।”


सुरक्षा, रक्षा और समुद्री क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस सुरक्षा वार्ता में वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। दोनों पक्षों ने सुरक्षा, रक्षा और समुद्री क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की और इन क्षेत्रों में आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने पर सहमति जताई।

इसके साथ ही दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, रक्षा उद्योग और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को बढ़ाने के अलावा महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर भी चर्चा की।


वार्ता को वार्षिक रूप देने पर सहमति

बैठक के दौरान वार्षिक सुरक्षा वार्ता आयोजित करने का निर्णय लिया गया ताकि दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को संस्थागत रूप दिया जा सके।

यह सुरक्षा वार्ता मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा का परिणाम है। अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया था।


मोदी-इब्राहिम वार्ता का परिणाम

पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम भारत यात्रा पर आए थे। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत-मलेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का फैसला किया गया है।


आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को लेकर भी चर्चा

भारत और मलेशिया के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को लेकर भी काफी संभावनाएं जताई गईं। दोनों देशों के बीच छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें मलेशिया में भारतीय मजदूरों के लिए रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने और उन्हें सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने पर सहमति बनी थी।


भारत-मलेशिया सुरक्षा वार्ता के मुख्य बिंदु

  1. आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने पर सहमति।
  2. साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा।
  3. महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग के तरीकों की खोज।
  4. वार्षिक बैठकें आयोजित करने पर सहमति।
  5. द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना।

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