भारत का नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य: निवेश, रणनीति और अक्षय ऊर्जा की बढ़ती भूमिका
“नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य भारत के दीर्घकालिक जलवायु व पर्यावरण लक्ष्यों का हिस्सा है। मूडीज रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को ऊर्जा क्षेत्र, विशेषकर पावर सेक्टर में विशाल निवेश करना होगा। कोयले पर निर्भर ऊर्जा व्यवस्था से हटकर भारत को साफ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना होगा।“
कोयले से क्लीन एनर्जी की ओर बदलाव ही लक्ष्य की कुंजी
सरकार की योजना फ्यूल मिक्स में बदलाव लाने पर आधारित है। वर्तमान में बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी अधिक है। लेकिन सरकार का ध्यान अब रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सौर और पवन ऊर्जा की ओर है। हालांकि, भारत की आर्थिक वृद्धि की गति को देखते हुए, आने वाले दशक में कोयला आधारित उत्पादन भी 70 से 75 गीगावाट तक बढ़ाया जाएगा।
नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य की दिशा में निवेश की ज़रूरत
नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य को साकार करने के लिए अगले 10 वर्षों में बिजली उत्पादन, स्टोरेज, ट्रांसमिशन और वितरण जैसे सभी क्षेत्रों में निवेश करना जरूरी है। रिपोर्ट बताती है कि यह निवेश भारत की वास्तविक जीडीपी का लगभग 2% हो सकता है। इसका अर्थ है कि ऊर्जा के हर हिस्से को हरित और कुशल बनाना अब अनिवार्य है।
450 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी जोड़ने का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक भारत 450 GW तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह न केवल कोयले की निर्भरता कम करेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी महत्वपूर्ण कटौती लाएगा।
- सौर ऊर्जा (Solar Power)
- पवन ऊर्जा (Wind Power)
- हाइड्रो और बायोमास जैसी वैकल्पिक तकनीकें
ये सभी भारत को नेट ज़ीरो के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से ले जाएंगी।
प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण
मूडीज के वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक त्यागी के अनुसार, आने वाले दशकों में निजी क्षेत्र रिन्यूएबल एनर्जी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही सरकारी कंपनियां भी इस बदलाव में अहम योगदान देंगी।
- NTPC, PGCIL जैसी कंपनियां हरित ऊर्जा उत्पादन और वितरण में निवेश करेंगी।
- निजी कंपनियां जैसे Adani Green, Tata Power आदि भी सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रसर होंगी।
एनर्जी ट्रांजिशन के लिए फंडिंग स्रोतों का विस्तार ज़रूरी
भारत को एनर्जी ट्रांजिशन इंफ्रास्ट्रक्चर में आने वाले फंडिंग गैप को भरने के लिए विविध पूंजी स्रोतों की ज़रूरत होगी। इसमें प्रमुख हैं:
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI)
- ग्रीन बॉन्ड
- बहुपक्षीय ऋण संस्थान
- स्थानीय पूंजी बाजार
इन स्रोतों की मदद से भारत पावर ग्रिड्स, स्टोरेज और वितरण तंत्र को मजबूत कर सकेगा।
मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश
सरकार सिर्फ पावर सेक्टर ही नहीं, बल्कि पोर्ट और समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी भारी निवेश कर रही है। मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत:
- बंदरगाह क्षमता का विस्तार
- हरित समुद्री परिवहन
- लॉजिस्टिक्स चेन की दक्षता बढ़ाना
ये प्रयास जलवायु अनुकूल परिवहन और व्यापारिक विकास को बढ़ावा देंगे।
कार्गो वॉल्यूम में 3-5% वृद्धि की उम्मीद
मूडीज की भारतीय सहयोगी संस्था ICRA के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में भारत में कार्गो वॉल्यूम में 3-5% की वृद्धि की संभावना है। इस वृद्धि का कारण होगा:
- कंटेनर व्यापार में तेजी
- पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात
- उर्वरक उद्योग की बढ़ती मांग
डेटा सेंटर: ऊर्जा आधारित निवेश का नया केंद्र
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश में नया हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा है। डेटा सेंटर को स्थायी और कम कार्बन उत्सर्जन वाली बिजली की आवश्यकता होती है। इसलिए हरित ऊर्जा का इसमें सीधा संबंध है।
भारत की ऊर्जा नीति में बदलाव के संकेत
- फोकस कोयले से हटकर सौर व पवन पर
- वित्तीय निवेश को निजी और विदेशी भागीदारी से मजबूती
- इन्फ्रास्ट्रक्चर का डिजिटल और ग्रीन विस्तार
- 2030, 2040 और 2070 की तीनों जलवायु प्रतिबद्धताओं की दिशा में तैयारी