भारत की सख्त निगरानी: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है भारत
“ भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर लगातार नजर बनाए हुए है और इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गंभीरता से उठा रहा है।“
लोकसभा में बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में उन्होंने विस्तार से बताया कि पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदाय के साथ किस प्रकार से अन्याय और अत्याचार हो रहे हैं।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भारत की चिंता
विदेश मंत्री ने बताया कि सिर्फ फरवरी 2025 में ही पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के खिलाफ 10 गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से:
- 7 घटनाएं अपहरण और जबरन धर्मांतरण से जुड़ी थीं।
- 2 घटनाएं सीधे किडनैपिंग की थीं।
- 1 मामला होली मना रहे छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से जुड़ा था।
जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसी घटनाओं को हल्के में नहीं ले रहा है और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सामने लगातार इनका मुद्दा उठा रहा है।
सिख समुदाय के खिलाफ भी हमले
सिर्फ हिंदू नहीं, पाकिस्तान में सिख समुदाय भी अत्याचार का शिकार हो रहा है। विदेश मंत्री ने बताया कि हाल ही में:
- एक सिख परिवार पर हमला किया गया।
- एक पुराने गुरुद्वारे को फिर से खोलने पर सिख परिवार को धमकी दी गई।
- एक सिख लड़की के साथ अपहरण और धर्मांतरण का मामला भी सामने आया।
यह घटनाएं दर्शाती हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता पाकिस्तान में लगातार खतरे में है।
अहमदिया और ईसाई समुदाय पर भी अत्याचार
एस. जयशंकर ने अहमदिया और ईसाई समुदायों का जिक्र करते हुए कहा:
- अहमदिया समुदाय के खिलाफ दो गंभीर घटनाएं हुईं। एक में मस्जिद को सील किया गया और दूसरे में 40 कब्रों को अपवित्र किया गया।
- एक ईसाई व्यक्ति, जो मानसिक रूप से अस्थिर था, को ईशनिंदा के आरोप में फंसा दिया गया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की आवाज़
भारत ने इन घटनाओं को केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रखा। विदेश मंत्री ने बताया कि फरवरी में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत के प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की कड़ी आलोचना की।
जयशंकर ने कहा:
“पाकिस्तान एक ऐसा देश बन चुका है जहां मानवाधिकारों का हनन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और लोकतंत्र का पतन एक सरकारी नीति का हिस्सा बन गया है।”
भारत ने विश्व समुदाय को यह साफ संकेत दिया है कि वह पाकिस्तान के रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की रणनीति
भारत केवल बयान देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इन मुद्दों को बार-बार उठाकर पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है। इसका मकसद है:
- पीड़ित अल्पसंख्यकों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाना।
- पाकिस्तान की सरकार को जवाबदेह बनाना।
- धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक समुदाय को जोड़ना।
भारत का कूटनीतिक रुख
जयशंकर ने सदन में स्पष्ट किया कि भारत का रुख सिर्फ संवेदनशील नहीं, बल्कि सक्रिय और रणनीतिक है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी धार्मिक या नस्लीय उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेगा — चाहे वो कहीं भी हो।
भारत की ये नीति सिर्फ अपने पड़ोसियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मानवाधिकारों के समर्थन का उदाहरण बन रही है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों को भारत नजरअंदाज नहीं कर रहा है। सरकार, खासकर विदेश मंत्रालय, इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गंभीरता से उठा रहा है ताकि वैश्विक समुदाय इन पर ध्यान दे और पाकिस्तान को उसके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके।
भारत की यह पहल सिर्फ कूटनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी एक साहसिक कदम है, जो यह दर्शाता है कि भारत अपने मूल्यों और अपने पड़ोसी देशों में न्याय के लिए खड़ा है।