भारत में कच्चे रेशम उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि, 2024-25 में 34,042 मीट्रिक टन पहुंचने का अनुमान
“भारत में रेशम उद्योग की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। वर्ष 2024-25 की अप्रैल से जनवरी की अवधि के दौरान भारत का कच्चा रेशम उत्पादन 34,042 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा 2014-15 की समान अवधि के 24,299 मीट्रिक टन से लगभग 10,000 टन अधिक है। इस उपलब्धि की जानकारी मंगलवार को संसद में दी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत का रेशम उद्योग निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।“
केंद्रीय योजनाओं का योगदान
कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि कच्चे रेशम के उत्पादन में यह वृद्धि केंद्र सरकार की योजनाओं की सफलता का परिणाम है। इसमें कैटालिटिक डेवलपमेंट प्रोग्राम, नॉर्थ ईस्ट रीजन टेक्सटाइल प्रमोशन स्कीम (NERPTS), इंटीग्रेटेड स्कीम फॉर डेवलपमेंट ऑफ सिल्क इंडस्ट्री, सिल्क समग्र और सिल्क समग्र-2 जैसी योजनाओं ने मुख्य भूमिका निभाई है।
इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को बीज, पौधारोपण, सिंचाई, पालन गृह, पालन उपकरण जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं, जिससे उत्पादन में न केवल बढ़ोतरी हुई है, बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर हुई है।
रोजगार के अवसरों में इजाफा
रेशम उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी बड़ा इजाफा हुआ है। मंत्री के अनुसार, जनवरी 2024 तक, रेशम क्षेत्र में अनुमानित 80.90 लाख लोगों को रोजगार मिला है। इनमें से 71.2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 9.7 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ है।
यह संकेत देता है कि रेशम उद्योग केवल उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन का एक बड़ा स्रोत बन चुका है।
गुणवत्ता में सुधार
रेशम की गुणवत्ता के लिहाज़ से भी भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। मंत्री ने बताया कि देशभर में 109 स्वचालित रीलिंग मशीनों की स्थापना की गई है, जिससे 3ए और 4ए श्रेणी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेशम का उत्पादन संभव हुआ है।
यह गुणवत्ता सुधार भारतीय रेशम को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर रहा है और इससे निर्यात में भी वृद्धि की उम्मीद है।
सिल्क समग्र-2 योजना का विस्तार
सरकार ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 4,679.85 करोड़ रुपये का बजट तय करते हुए ‘सिल्क समग्र-2 योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, राज्यों को वित्तीय सहायता दी जा रही है ताकि रेशम उत्पादन के सभी स्तरों पर सुधार किया जा सके।
योजना में किसान नर्सरी, चॉकी पालन केंद्र, रेशम कीट बीज क्षेत्र, प्रोसेसिंग यूनिट्स, रीलिंग, कताई, बुनाई जैसी गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।
78,000 लाभार्थियों को मिला फायदा
अब तक इस योजना के तहत 78,000 लाभार्थियों को कवर किया जा चुका है, और इसके लिए 1,075.58 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता विभिन्न राज्यों को दी गई है। इससे साबित होता है कि यह योजना जमीन पर प्रभावी रूप से कार्य कर रही है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
भारत का कच्चा रेशम उत्पादन वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह न केवल सरकारी योजनाओं की सफलता को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण भारत में रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक अहम उपलब्धि है। भविष्य में इस उद्योग से और भी बड़े अवसर उत्पन्न होने की संभावना है, जिससे भारत न केवल आत्मनिर्भर बन सकेगा, बल्कि वैश्विक रेशम बाजार में अपनी मजबूत पहचान भी बना सकेगा।