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भारत की ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति: नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और खपत में हुआ ऐतिहासिक इज़ाफा

केंद्र सरकार ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि भारत में ऊर्जा आपूर्ति और खपत दोनों क्षेत्रों में स्थिर और स्वस्थ वृद्धि देखी जा रही है। इसके साथ ही देश में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) उत्पादन की बड़ी संभावनाओं को लेकर भी सकारात्मक संकेत मिले हैं।

भारत आज केवल ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा ही नहीं कर रहा, बल्कि एक हरित भविष्य की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहा है।

नवीकरणीय ऊर्जा: भारत की नई ऊर्जा क्रांति

मार्च 2024 तक भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 21,09,655 मेगावाट हो चुकी है। यह दर्शाता है कि भारत अब न केवल पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर है, बल्कि सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे स्वच्छ विकल्पों को भी प्राथमिकता दे रहा है।

स्रोतवार नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (मार्च 2024 तक):

ऊर्जा स्रोतक्षमता (मेगावाट)प्रतिशत योगदान
पवन ऊर्जा11,63,85655%
सौर ऊर्जा7,48,99035.5%
लार्ज हाइड्रो1,33,4106.3%
अन्य (बायो, स्मॉल हाइड्रो आदि)शेष3.2%

पवन और सौर ऊर्जा, दोनों मिलकर देश की नवीकरणीय क्षमता का 90% से अधिक हिस्सा बनाते हैं।

चार राज्य बने नवीकरणीय ऊर्जा के केंद्र

भारत में कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का अधिकतर हिस्सा चार राज्यों में केंद्रित है:

  • राजस्थान – 20.3%
  • महाराष्ट्र – 11.8%
  • गुजरात – 10.5%
  • कर्नाटक – 9.8%

इन राज्यों ने बेहतर नीतियों, निवेश और भौगोलिक लाभों के चलते ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाई है।

बिजली उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि

भारत का कुल बिजली उत्पादन भी पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है31 मार्च 2015 को देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 81,593 मेगावाट थी, जो 31 मार्च 2024 तक बढ़कर 1,98,213 मेगावाट हो गई है।

यह 10.36% की वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक निवेश और नीति निर्माण के जरिए अपनी क्षमता दोगुनी कर ली है।

नवीकरणीय स्रोतों से सकल बिजली उत्पादन

  • FY 2014-15: 2,05,608 गीगावॉट
  • FY 2023-24: 3,70,320 गीगावॉट
  • CAGR वृद्धि दर: 6.76%

यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि भारत नवीकरणीय स्रोतों को लेकर केवल क्षमता निर्माण नहीं, बल्कि उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है।

प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में भी वृद्धि

प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में भी बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है:

  • 2014-15: 14,682 मेगा जूल / व्यक्ति
  • 2023-24: 18,410 मेगा जूल / व्यक्ति
  • वृद्धि दर: 2.55% CAGR

यह वृद्धि औद्योगीकरण, डिजिटल युग में प्रवेश, और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंच जैसी कई वजहों से हुई है।

ट्रांसमिशन और वितरण में सुधार

ऊर्जा के बेहतर उपयोग और बचत की दिशा में ट्रांसमिशन और वितरण में नुकसान को कम करना एक बड़ी उपलब्धि रही है:

  • 2014-15 में नुकसान: लगभग 23%
  • 2023-24 में नुकसान: लगभग 17%

यह दर्शाता है कि टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के ज़रिए भारत ने ऊर्जा कुशलता (Energy Efficiency) में उल्लेखनीय प्रगति की है।

भारत की ऊर्जा नीति: टिकाऊ और समावेशी विकास की ओर

भारत की ऊर्जा नीतियाँ अब केवल आपूर्ति को बढ़ाने पर केंद्रित नहीं हैं, बल्कि:

  • साफ-सुथरे ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता देना
  • घरेलू उत्पादन पर आत्मनिर्भरता
  • जलवायु परिवर्तन से लड़ाई
  • रोज़गार के अवसर पैदा करना
  • ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देना

इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि

भारत की यह प्रगति न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर रही है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत को:

  • हरित ऊर्जा लीडर (Green Energy Leader)
  • विश्वसनीय निवेश गंतव्य
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक राष्ट्र

के रूप में स्थापित कर रही है।

भारत का ऊर्जा क्षेत्र आज तेजी से बदलते वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में एक सकारात्मक उदाहरण बनकर उभरा है। चाहे वह नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादन हो, प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि, या ट्रांसमिशन में कुशलता – भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

सरकार की ओर से दी गई यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा, बल्कि वह दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा समाधान देने वाला अग्रणी देश भी बन सकता है।

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