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भारत में खुदरा महंगाई 2025-26 में 4% रहने की संभावना: मॉर्गन स्टेनली

अमेरिकी निवेश बैंक एवं वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत की खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन 4% रहने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति की दर में स्थिरता बनी रहेगी, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी महीनों में नीतिगत ब्याज दरों में 0.75% तक की कटौती कर सकता है।

मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण मुद्रास्फीति में नरमी देखी जा रही है। जनवरी और फरवरी 2025 में ओवरऑल मुद्रास्फीति अनुमान से कम रही, जिसके चलते बैंक ने अपने मौद्रिक नीति परिदृश्य को अपडेट किया है। अब 0.50% की जगह 0.75% की दर कटौती की संभावना जताई जा रही है।

खुदरा महंगाई के नए अनुमान

पहले जहां वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई 4.3% रहने का अनुमान था, अब इसे घटाकर 4% कर दिया गया है। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, “हम अपने पूर्व अनुमान से हटकर 0.75% की संचयी दर कटौती की ओर बढ़ रहे हैं।”

जनवरी-फरवरी में महंगाई दर में गिरावट

जनवरी और फरवरी 2025 के आंकड़ों में खुदरा महंगाई में अपेक्षा से अधिक गिरावट दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में आई कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, “31 मार्च 2025 को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए खुदरा महंगाई 4% के औसत पर बनी रह सकती है।

RBI की मुद्रास्फीति लक्ष्य सीमा 2-6% के भीतर है, जिससे अतिरिक्त नरमी की गुंजाइश बन सकती है।

फरवरी में CPI मुद्रास्फीति 3.61% पर

फरवरी 2025 में CPI आधारित मुद्रास्फीति 3.61% दर्ज की गई, जो 6 महीने में पहली बार RBI के 4% लक्ष्य से नीचे आई है। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले 12 महीनों में अधिक रही है, लेकिन अब इसमें स्थिरता आने के संकेत मिल रहे हैं।

खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार के संकेत

मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, रबी और खरीफ फसल उत्पादन में सालाना वृद्धि का अनुमान है, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार होगा और अस्थिरता कम होगी।

RBI की नीतिगत रणनीति और आर्थिक स्थिरता

भले ही देश की आर्थिक वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन ऋण वृद्धि की प्रवृत्ति अभी भी 11% पर नरम है। इससे वित्तीय स्थिरता बनी रहने की संभावना है और RBI द्वारा अतिरिक्त दर कटौती की गुंजाइश भी बढ़ती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोर मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण कोर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थिरता है।

RBI का संभावित निर्णय

अगर महंगाई का स्तर स्थिर रहता है और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जारी रहती है, तो RBI आने वाले महीनों में ब्याज दरों में 0.75% की कटौती कर सकता है। इससे ऋण सस्ता होगा, उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार में अधिक तरलता बनी रहेगी।

मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत देती है। 2025-26 में खुदरा महंगाई 4% के स्तर पर स्थिर रहने की संभावना से RBI को नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती करने का मौका मिल सकता है। इससे भारतीय उपभोक्ताओं और निवेशकों को लाभ मिलेगा, आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी और बाजार में निवेश बढ़ने की संभावना रहेगी।

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