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भूकंप त्रासदी में भारत बना म्यांमार का सच्चा साथी, ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत भेजी राहत सामग्री

भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि संकट की घड़ी में वह अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूती से खड़ा रहता है। म्यांमार और थाईलैंड में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार को त्वरित मानवीय सहायता पहुंचाई है।

इस भूकंप में म्यांमार में 1,002 लोगों की मृत्यु, 2,376 घायल और 30 लोग लापता हुए हैं। यह एक भयावह प्राकृतिक आपदा है, जिससे देश का बड़ा इलाका प्रभावित हुआ है।

पीएम मोदी का म्यांमार के प्रति संवेदनात्मक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरी संवेदना व्यक्त की और म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से फोन पर बातचीत की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने कहा:

“एक करीबी मित्र और पड़ोसी के रूप में भारत इस मुश्किल घड़ी में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि ऑपरेशन ब्रह्मा के अंतर्गत आपदा राहत सामग्री, मानवतावादी सहायता, खोज और बचाव दल तेजी से प्रभावित क्षेत्रों की ओर रवाना किए जा चुके हैं।

भूकंप का विवरण

  • तारीख: शुक्रवार, मार्च 2025
  • स्थान: सागाइंग, म्यांमार
  • मुख्य झटका: 7.7 तीव्रता
  • अन्य झटके: 2.8 से 7.5 तीव्रता के 12 आफ्टरशॉक्स
  • प्रभाव: हजारों लोग बेघर, पुल, भवन और सड़कें ध्वस्त

इस आपदा की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि इसके झटके थाईलैंड तक महसूस किए गए।

भारत का त्वरित कदम: ऑपरेशन ब्रह्मा

भारत सरकार ने संकट की गंभीरता को देखते हुए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ लॉन्च किया। इसके अंतर्गत 15 टन से अधिक राहत सामग्री म्यांमार को भेजी गई है। इस अभियान का नेतृत्व विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) द्वारा किया गया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा:

“भारत म्यांमार के लोगों की मदद के लिए पहला प्रतिक्रियाकर्ता बना है। हमारी पहली राहत खेप यांगून पहुंच चुकी है।”

भेजी गई प्रमुख राहत सामग्री

भारत द्वारा भेजी गई पहली खेप में शामिल हैं:

  • टेंट और अस्थायी आश्रय
  • कंबल और स्लीपिंग बैग
  • पैक्ड फूड और ड्राई राशन
  • स्वच्छता किट और हाइजीन आइटम
  • सौर जनरेटर और बैटरी पैक
  • आवश्यक जीवनरक्षक दवाइयाँ
  • बचाव उपकरण और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री

ये सभी सामग्री आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सीधे ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचाई जा रही है।

भारत का मानवतावादी दृष्टिकोण

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने अपने पड़ोसी देशों की मदद की है। चाहे नेपाल का भूकंप (2015) हो या श्रीलंका की बाढ़, भारत ने हमेशा “पहले पड़ोसी, पहले सहायता” की नीति अपनाई है।

ऑपरेशन ब्रह्मा भी इसी मानवीय दृष्टिकोण की एक मिसाल है। यह केवल सहायता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की मजबूती भी है।

भारत-म्यांमार संबंधों की पृष्ठभूमि

  • भौगोलिक निकटता: भारत और म्यांमार की 1,600 किलोमीटर लंबी सीमाएँ जुड़ी हुई हैं।
  • सांस्कृतिक जुड़ाव: दोनों देशों के बौद्ध धार्मिक संबंध प्राचीन हैं।
  • रणनीतिक साझेदारी: दोनों देश Act East Policy, व्यापार, सुरक्षा और विकास में सहयोगी हैं।

इस भूकंप जैसी आपदा में भारत की सहायता एक राजनयिक नहीं, बल्कि मानवीय पहल है।

पीएम मोदी की पूर्व प्रतिक्रिया

शुक्रवार को ही भूकंप के तुरंत बाद पीएम मोदी ने पोस्ट किया:

“म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति से चिंतित हूं। सभी की सुरक्षा और खुशहाली के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।”

उन्होंने संबंधित अधिकारियों और मंत्रालयों को तुरंत प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए, जिससे तेज़ गति से ऑपरेशन ब्रह्मा को क्रियान्वित किया गया।

भविष्य की चुनौतियाँ और समर्थन

म्यांमार में राहत कार्यों के बाद पुनर्निर्माण और पुनर्वास की लंबी प्रक्रिया शुरू होगी। भारत की योजना है कि:

  • अस्पतालों और स्कूलों के पुनर्निर्माण में सहायता दी जाए।
  • प्रशिक्षण और तकनीकी मदद के ज़रिए पुनर्वास में सहयोग किया जाए।
  • स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण में भागीदारी बढ़ाई जाए।

म्यांमार में भूकंप की इस भयावह त्रासदी के समय भारत ने एक बार फिर विश्वास और दोस्ती की मिसाल पेश की है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऑपरेशन ब्रह्मा ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत केवल एक पड़ोसी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और संवेदनशील मित्र है।

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