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भारत का सोलर BOS बाज़ार 2029 तक पहुंचेगा 7 अरब डॉलर, तेजी से बढ़ रहा बैलेंस ऑफ सिस्टम सेक्टर

भारत का सोलर BOS बाजार (Balance of System) आने वाले वर्षों में देश के नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य में अहम भूमिका निभाने जा रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार 2024 के 3 अरब डॉलर से बढ़कर 2029 तक लगभग 7 अरब डॉलर का हो जाएगा। यह विकास 16% की सालाना कंपाउंडेड वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है, जो देश में स्वच्छ ऊर्जा की मांग और नीतिगत समर्थन को प्रतिबिंबित करता है।

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों से मिल रहा बढ़ावा

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता हासिल करने और अपनी 50% बिजली आवश्यकताओं को नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य रखा है। यही कारण है कि भारत का सोलर BOS बाजार अब निवेश, नवाचार और उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनकर उभर रहा है।

BOS क्या है और इसमें क्या-क्या शामिल होता है?

सोलर इंस्टॉलेशन में केवल पैनल ही नहीं बल्कि कई अन्य उपकरण और तकनीकी घटक शामिल होते हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से बैलेंस ऑफ सिस्टम (BOS) कहा जाता है। इसमें इनवर्टर, माउंटिंग संरचनाएं, सोलर ट्रैकर्स, वायरिंग, कंबाइनर बॉक्स, सर्किट सुरक्षा यंत्र, मॉनिटरिंग सिस्टम, चार्ज कंट्रोलर और बैटरियां शामिल हैं।

यह सभी घटक मिलकर सौर ऊर्जा प्रणाली को स्थिर, सुरक्षित और कुशल बनाते हैं। इनकी गुणवत्ता और कार्यक्षमता सीधे-सीधे उत्पादन क्षमता पर असर डालती है।

सरकारी योजनाएं बढ़ा रही हैं BOS सेक्टर की मांग

भारत का सोलर BOS बाजार बढ़ने के पीछे कुछ बड़ी सरकारी योजनाओं की भूमिका भी अहम है। इनमें प्रमुख हैं:

  • प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM): ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर पंपों और डिस्ट्रिब्यूटेड सोलर प्लांट्स की स्थापना को बढ़ावा देती है।
  • ग्रिड-कनेक्टेड रूफटॉप सोलर प्रोग्राम: शहरी और आवासीय उपयोगकर्ताओं को अपनी छतों पर सोलर सिस्टम लगाने में प्रोत्साहन देता है।
  • दिल्ली सोलर नीति: राजधानी में सोलर ऊर्जा को अपनाने को तेज़ी से बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।

इन योजनाओं के माध्यम से BOS घटकों की मांग में वृद्धि हो रही है, जिससे यह क्षेत्र तेजी से निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।

इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग में अवसर

BOS क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए विशाल संभावनाएं हैं। उच्च गुणवत्ता वाले इनवर्टर, मॉनिटरिंग डिवाइसेज़ और ऊर्जा स्टोरेज सिस्टम की जरूरत दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और भारत को न केवल आत्मनिर्भरता की ओर, बल्कि सोलर उत्पादों के वैश्विक निर्यातक के रूप में भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

BOS घटकों की गुणवत्ता का महत्त्व

भारत का सोलर BOS बाजार तभी सच्चे अर्थों में सफल हो सकता है, जब इसके घटकों की गुणवत्ता और कार्यक्षमता विश्व स्तर की हो। खराब गुणवत्ता वाले BOS कंपोनेंट्स से सोलर सिस्टम की लाइफ और आउटपुट पर सीधा असर पड़ता है।

अतः यह ज़रूरी है कि इस क्षेत्र में मजबूत मानक और तकनीकी प्रशिक्षण लागू किए जाएं।

डीकार्बोनाइजेशन में BOS की भूमिका

वन लैटिस के निदेशक अभिषेक मैती ने कहा कि “सोलर एनर्जी को स्केलेबल और टिकाऊ बनाने में BOS घटकों की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सोलर पैनलों की। जैसे-जैसे दुनिया डीकार्बोनाइजेशन की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे BOS की मांग और महत्ता दोनों बढ़ेंगी।”

वैश्विक BOS बाजार का बढ़ता आकार

भारत ही नहीं, वैश्विक BOS बाजार भी विस्तार की राह पर है। वर्ष 2024 में यह 60 अरब डॉलर का था और 2029 तक इसके 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत का BOS उद्योग इस वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है यदि वह नवाचार, गुणवत्ता और उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करे।

ऊर्जा संक्रमण की प्रक्रिया में BOS की भूमिका

भारत में ऊर्जा संक्रमण की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है, और BOS इसके केंद्र में है। ये कंपोनेंट्स सोलर प्रोजेक्ट्स को तकनीकी और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाते हैं। जैसे-जैसे रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स बढ़ते जाएंगे, BOS की ज़रूरत और योगदान भी उसी अनुपात में बढ़ेगा।

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